जगदलपुर. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। आये दिन पक्ष विपक्ष इस पर बयानबाजी करते रहते हैं। क्योंकि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी का वादा किया था इसलिए विपक्ष इस वादे को बीच बीच मे याद दिलाते रहता है। एक बार फिर आबकारी विभाग के मंत्री और बस्तर के प्रभारी कवासी लखमा ने बड़ा बयान दिया है। प्रदेश में शराबबंदी को लेकर छिड़े विवाद के बीच बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने बड़ा बयान दिया है। आदिवासियों की जरूरत बताते हुए लखमा ने जमकर शराब की पैरवी की। मंत्री लखमा ने यह भी कहा कि जब तक वे जीवित हैं बस्तर में शराबबंदी नहीं होगी।
एक तरफ शराबबंदी को लेकर राज्य में घमासान छिड़ा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के आबकारी मंत्री ने जगदलपुर में जो बयान दिया है उसके बाद निश्चित तौर पर विवाद बढ़ेगा। उन्होने कहा कि थोड़ी-थोड़ी पीने से कोई नुकसान नहीं पहुंचता। अधिक शराब सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। कुल मिलाकर बस्तर में शराब संस्कृति को वे संरक्षण देते नजर आए।
मंत्री कवासी लखमा के शराबबंदी वाले बयान पर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल बोले कि शराबबंदी को लेकर CM का बयान विचित्र, और कवासी लखमा का बयान अनोखा है। इस सरकार का भगवान मालिक है। जनघोषणा जारी किया उस वक़्त एक हाथ में गंगाजल और एक हाथ में शराब की बोतल थी, समवन्य दोनों में नही है।
CM भूपेश बघेल ने एक बार अपने बयान में कहा था कि लॉक डाउन से समझ आया लोग नकली शराब से मरे। हम नशाबंदी की तरफ बढ़ना चाहते हैं। जब तक समाज इन्वॉल्व नहीं होता तब तक संभव नहीं। यह सामाजिक बुराई है। बात केवल शराब बंदी की नहीं, हम नशाबंदी की बात कह रहे हैं। हमने कोरोना काल लॉकडाउन के दौरान देखा है। गुडाखू आँखों जैसे नशा के लिए छोटे छोटे दुकान में दस पाँच के डिब्बा को कई सौ रुपया में तो कहीं पचास रुपया में ख़रीद रहे थे।