Counter-Charges: हर बार की तरह कवासी लखमा की जुबान फिर फिसल गई। लखमा ने कहा कि हिंदू और आदिवासी अलग अलग हैं। अब इस बयान पर बीजेपी नेता भी सवाल उठा रहे हैं। पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि लखमा ने ये बात सोनिया गांधी के कहने पर कही हैं। वही बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने इसे साजिश करार दिया हैं।
लखमा ने कहा था कि इस देश के मूलनिवासी हम आदिवासी हैं। हम हिंदू से अलग हैं। हिंदू और बौद्ध कहीं-कहीं से आए हैं। आदिवासी और हिंदू का रीति रिवाज अलग-अलग हैं।
मंत्री कवासी लखमा के बयान पर केदार कश्यप का पलटवार- मुझे नहीं मालूम यह ज्ञान कवासी लखमा को किसने दिया। सोनिया गांधी के कहने पर उनको आराध्य देव से अलग करना चाहते हैं। हमको बताना चाहते हैं कि हम हिंदू नहीं हैं।कवासी लखमा अपने मुंह से बोलकर दिखाए कि आदिवासी हिंदू नहीं है, आदिवासी ईसाई नहीं है। हम लोग आराध्य देव सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं। बस्तर के किसी भी क्षेत्र में चले जाइए हजार वर्ष पुराना गणेश जी की प्रतिमा हैं। बस्तर में मां दंतेश्वरी की पूजा 800 साल पहले से चली आ रही हैं। दशहरा में का मां दंतेश्वरी की आराधना की जाती।
बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने कहा- कांग्रेस सरकार के एक मंत्री का बयान और बिहार के एक शिक्षा मंत्री का बयान साथ ही राम-रामायण के विरोध में स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र हैं। आदिवासियों को अलग करने की बात हैं तो शक्ति पीठ दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी कौन हैं क्या? कवासी लखमा बताएंगे। जो गुमरगुंडा आश्रम हैं और सदा प्रेमानंद सरस्वती जी अदिवासी हैं। किंतु जिस प्रकार से मंत्री कवासी लखमा ने बयान दिया। यह सोची समझी साजिश का हिस्सा है।