गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. आप ट्रेन में सफर करते हैं औऱ जब आप पेंड्रा रोड की तरफ जाते होंगे तो निश्चित ही आप रास्ते मे पड़ने वाले सुरंग से परिचित होंगे. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे जोन के अंर्तगत भनवार टंक रेल सुरंग को बने 100 साल से भी ज्यादा हो गए. अंग्रेजों के जमाने में बने इस रेलवे सुरंग के हालात अब जर्जर होते जा रहे हैं, जैसे ही ट्रेन सुरंग के अंदर से निकलती हैं. ट्रेनों में घर्षण की आवाज निकलती हैं.
बताया जाता हैं कि इस सुरंग का निर्माण पुराने ट्रेनों के आधार पर किया गया हैं. अब आधुनिक युग के ट्रेन के आकार प्रकार में परिवर्तन आ चुका है. जिसके कारण सुरंग से निकलने वाली कई ट्रेन में घर्षण होता हैं. जानकारी ये भी हैं कि पिछले कई समय से ट्रेनें यहां केवल 10KM प्रति घँटे की स्पीड से निकलती हैं. ट्रेनों के बोगियों को नुकसान न पहुँचे इसलिए ट्रेनों को धीमी गति से चलाया जा रहा हैं.
प्रदेश की सबसे ऊंचाई पर बनी 331 मीटर लंबी है सुरंग
रायपुर से कटनी जाने वाले या उत्तर भारत जाने वाली ट्रेनों का ये सबसे पुराना रूट हैं. प्रदेश की सबसे ऊंचाई में बनी इस सुरंग की लंबाई 331 मीटर हैं. ट्रेन 10KM की रफ्तार से चल रही हैं, तो इसे पार करने में केवल 1 मिनिट का समय लगता हैं.