Bilaspur News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सामने रोचक मामला आया। छोटे बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत के लिए माता-पिता ने बड़े बेटे को जिम्मेदार ठहराते हुए मृत्यु दावा भुगतान पाने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं ने मोटर दावा अधिकरण के फैसले को चुनौती दी। जस्टिस पी. सेम कोशी याचिका खारिज कर दी है। खास बात ये कोर्ट का यह फैसला न्याय दृष्टांत बन गया है।
मामला रायपुर जिले के ग्राम बोरियाकला का है। चंद्र कुमार सेन अपने दोस्त खुमान वर्मा के साथ मोटरसाइकिल से यात्रा कर रहे थे। वे दुर्घटना के शिकार हो गए। गंभीर रूप से घायल चंद्र कुमार सेन ने दम तोड़ दिया। दुर्घटनाग्रस्त मोटर साइकिल मृतक के बड़े भाई तुलसीराम सेन की थी। मृतक के पिता व माता विष्णु सेन व मीना बाई ने अपने बड़े बेटे तुलसी राम के खिलाफ क्षतिपूर्ति का दावा किया था। दो जनवरी 2015 को द्वितीय अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण रायपुर ने क्षतिपूर्ति दावा को खारिज कर दिया था। मृतक के माता पिता ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस कोशी की सिंगल बेंच में हुई।
जस्टिस कोशी ने अपने फैसले में कहा है कि धारा 163(ए) के तहत मामला बनाने के लिए दावेदार को किसी भी तरह से मालिक से असंबंधित तीसरा पक्ष या तीसरा व्यक्ति होना चाहिए। इस मामले में पीड़ित की मृत्यु होने के कारण मुआवजे का भुगतान करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी या वाहन मालिक की है। अगर यह साबित हो जाता है कि चालक वाहन का मालिक है तो उस स्थिति में मुआवजे का हकदार नहीं हो सकता। क्योंकि भुगतान करने की जिम्मेदारी उसी पर है। मोटर व्हीकल एक्ट(एमवीए) की धारा 163-ए के तहत मुआवजे का दावा नहीं किया जा सकता।
हाई कोर्ट ने की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित आदेशों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि न्यायाधिकरण द्वारा प्राप्त निष्कर्ष को किसी भी तरह से गलत या कानून के विपरीत नहीं कहा जा सकता है। न ही इसे कानून का उल्लंघन कहा जा सकता है। लिहाज वर्तमान अपील को खारिज किया जाता है।