जिले में शराब व गांजे का अवैध कारोबार चरम पर
अम्बिकापुर
शहर और आस पास के क्षेत्रों में शराब की अवैध बिक्री धडल्ले से की जा रही है। गांव-गांव में अवैध मयखानेें संचालित होने से ग्रामीण युवाओं के मध्य शराबखोरी की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। आबकारी एवं पुलिस महकमें के द्वारा खानापूर्ति के तौर पर छोटी-छोटी कार्यवाही करके केवल दायित्वों की पूर्ति दिखावे के लिए की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि सरगुजा जिला मुख्यालय में देशी और विदेशी मदिरा हेतु कई दुकानें अधिकृत हैं, लेकिन नगर के कई होटल व ढाबे के अलावा नगर के बिलासपुर चौक, रायगढ़ रोड़, खरसिया चैक, प्रतापपुर चौक, गाॅधीनगर, गंगापुर, पुराना बस स्टैण्ड सहित महुआ शराब के लिये माने जाने वाले क्षेत्र खैरबार, दर्रीपारा, परसापाली, भातुपारा, मठपारा, गाॅधीनगर क्षेत्र जैस कई गांवों में अवैध रूप से होटल पान दुकान और किनारा दुकान में शराब ठेकेदार व आबकारी कर्मचारियों की मिली भगत से नियम विरूद्ध तरीके से दो हजार से भी कम आबादी वाले गांवों में शराब बिक्री होने से जहां एक ओर ग्रामीण युवाओं में शराब खोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर शराब के आदी हो चुके युवाओं में आपराधिक प्रवृत्ति भी बढ़ने लगी है। क्षेत्र में हो रही सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा की जाये तो लगभग 75 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण शराबखोरी है। इसी प्रकार ग्रामीण परिवेश वाले वार्डों एवं ग्रामों में मारपीट के अधिकांश प्रकरण शराब के नशे में ही हो रहे हैं।
प्रभावी नीति का अभाव
अवैध शराब बिक्री को नियंत्रित करने आबकारी विभाग के पास कोई प्रभावी नीति नहीं है, होटल और ढ़ाबों में शराब बेंचने पर अंकुश लगाने का बोर्ड तो लगा दिया गया है, लेकिन रोकथाम हेतु विभाग कोई पहल नहीं कर रही है। आबकारी विभाग से ज्यादा सक्रीय तो स्थानीय पुलिस नजर आती है, लेकिन पुलिस विभाग भी ग्रामीण क्षेत्र में महुआ शराब बनाने वाले लोगों के विरूद्ध ही दिखावटी कार्यवाही ही देखने को मिलती है। इस सत्र में न तो आबकारी विभाग ने और न ही पुलिस ने कोई ऐसी कार्यवाही की है जिसमें जखीरा बरामद किया गया हो।
जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर उठ रहा सवालिया निशान
शराब, गांजा व अन्य मादक पदार्थों के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए जिला मुख्यालय में कार्यालय तो खोल दिया गया है लेकिन न तो अधिकारी कार्यालय में दिखते हैं और न ही मुख्यालय में। अवैध कारोबार की सूचना देने पर विभाग छापामार मारने की बाजाय उसे संरक्षण प्रदान करता दिखाई देता है। जिम्मेदार अधिकारियेां की अनुपस्थिति व लचीली कार्यशैली से अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।