जांजगीर-चांपा। हिन्दी दिवस 14 सितम्बर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबन्ध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है।इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
आज जांजगीर चांपा कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केरा स्कूल निरीक्षण करने पहुंचे। निरीक्षण के दौरान जब कलेक्टर केरा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचे तो वहां अंग्रेजी की क्लास चल रही थी। अंग्रेजी की क्लास में कलेक्टर ने बच्चो से अंग्रेजी व्याकरण के बारे में पूछा, कलेक्टर ने बच्चों से एक वाक्य दिया और उसका अंग्रेजी अनुवाद करने को कहा, बच्चों ने जब बखुबी उसका उत्तर दिया तो कलेक्टर बहुत खुश हो गए। कक्षा 6वीं की छात्रा कुमारी मुस्कान की प्रशंसा करते हुए कलेक्टर ने पेन दिया। कलेक्टर ने कहा कि स्पोकन इंग्लिस के लिए टेंस का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। टेंस का ज्ञान पा लिया तो आधे अंग्रेजी में समस्या नहीं होगी। लेकिन कलेक्टर इस बात को भूल गए कि आज हिंदी दिवस है। आज अंग्रेजी के साथ-साथ बच्चों को हिंदी दिवस पर हिंदी का भी थोड़ा ज्ञान दे देते।
लोगों का कहना है कि उन्होंने हिंदी दिवस पर अंग्रेजी का पाठ पढ़ा कर एक प्रकार से हिंदी दिवस का अपमान किया है। इस बात को लेकर लोगों ने अब अपना प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है, लोग कह रहे हैं कि हिंदी दिवस के दिन बच्चों को अंग्रेजी का पाठ पढ़ा कर ज्ञान देना कहां तक उचित है। कहीं ना कहीं हिंदी के साथ यह अन्याय सी बात है। भलेे ही कलेक्टर का अंग्रेजी में पाठ पढ़ाना इत्तेफाक रहा होगा, लेकिन इसका खूब आलोचना हो रहा है। बाद में कलेक्टर सिन्हा ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केरा में 21 छात्र-छात्राओं को जाति प्रमाण पत्र वितरण किये। उन्होंने राजस्व अधिकारी एवं शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए कि छात्र-छात्राओं का जाति प्रमाण पत्र बनाया जाए। जिससे उन्हे किसी प्रकार की समस्या ना हो।
जाने कब से ‘हिंदी दिवस’ की शुरुआत हुई…
वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था। वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है.संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय रूप होगा। यह निर्णय 14 सितम्बर को लिया गया, इसी दिन हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह का 50वाँ जन्मदिन था, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। हालांकि जब राष्ट्रभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो अ-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण हिन्दी में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।