नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में सिंगल यूज प्लास्टिक की तय वस्तुओं पर आज यानी 1 जुलाई से बैन लग गया। दिल्ली में सिंगल यूज प्लास्टिक वाले वस्तुओं के निर्माण, वितरण, भंडारण और बिक्री पर आज से प्रतिबंध लग गया है। सिंगल यूज प्लास्टिक यानी एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली सरकार ने बताया कि 10 जुलाई तक केवल चेतावनी नोटिस जारी किया जाएगा और उसके बाद एक्शन लेने का काम शुरू होगा।
दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत एक लाख रुपये का जुर्माना या पांच साल तक की कैद हो सकती है। उन्होंने कहा कि 10 जुलाई तक चेतावनी नोटिस जारी किया जाएगा और उसके बाद एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से बनी वस्तुओं पर प्रतिबंध लागू करने और लोगों को विकल्प मुहैया कराने पर समान रूप से ध्यान देगी।
दरअसल, दिल्ली सरकार का पर्यावरण विभाग एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) से बने 19 चिह्नित उत्पादों पर लागू प्रतिबंध को अमल में लाने के लिए आज यानी एक जुलाई से अभियान चलाएगा और इन आदेशों का उल्लंघन करने वाले सभी विनिर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं, वितरकों एवं विक्रेताओं पर कार्रवाई करेगा।
दिल्ली सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सिंगल यूज वाले प्लास्टिक से बनने वाले उत्पादों के निर्माण से जुड़े पक्षों को सख्त निर्देश दे दिए गए हैं। इनके अलावा स्टॉक रखने वालों, आपूर्तिकर्ताओं एवं वितरकों को भी इन उत्पादों के कारोबार से दूर रहने को कहा गया है। इसका उल्लंघन करने वाली कंपनियों को जुलाई के पहले सप्ताह में चलाए जाने वाले अभियान में बंद कर दिया जाएगा।
सिंगल यूज वाले प्लास्टिक से बने 19 उत्पादों को इस पाबंदी के दायरे में रखा गया है। इनमें गुब्बारों, झंडों, कैंडी, आइसक्रीम में लगने वाली प्लास्टिक स्टिक, थर्माकॉल से बनी प्लेट, कप, गिलास, प्लास्टिक के चम्मच, कांटे, चाकू, तश्तरी के अलावा मिठाई के डिब्बों, निमंत्रण पत्र और सिगरेट पैकेट की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली फिल्म और 100 माइक्रॉन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर भी शामिल हैं।
अधिकारी ने बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास पंजीकृत विनिर्माताओं, ब्रांड मालिकों, आपूर्तिकर्ताओें एवं स्टॉकिस्ट का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण के लिहाज से नुकसानदेह माने जाने वाले एसयूपी से बने उत्पादों पर पाबंदी को सख्ती से लागू करेगी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 30 जून तक मौजूदा स्टॉक को हटा लेने को कहा था। इस नियम का उल्लंघन करने वालों को 5 साल की सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है। इतना ही नहीं, लगातार उल्लंघन करने वाले पर पांच हजार प्रतिदिन के हिसाब से भी जुर्माना लग सकता है।