बलरामपुर: स्कूली बच्चों के हाथों में किताब की जगह झाड़ू… DEO साहब का तर्क तूल देना उचित नही!..



बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..जिले के धन्धापुर प्रायमरी स्कूल के बच्चो का स्कूल में झाड़ू लगाने का मामला सामने आया है..जबकि स्कूल की शिक्षका का इस मामले को लेकर कहना है कि स्कूल का अंशकालीन स्वीपर हड़ताल पर है..ऐसे में स्कूल की साफ सफाई रसोइया करते है..लेकिन स्कूल का नजारा कुछ और ही बया कर है..वही जिला शिक्षा अधिकारी का अपना अलग ही तर्क है..उनका कहना है कि शिक्षा विभाग के स्कूलों में अंशकालीन स्वीपर की भर्ती शाला प्रबन्धन की ओर से की जाती है..और स्वीपर के नही होने पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत साफ सफाई की जाती है..बच्चे स्कूल की सफाई कर रहे है..इसे तूल नही दिया जाना चाहिए!..

दरअसल प्रदेशभर में 16 जून से नये शैक्षणिक सत्र 2022-23 की शुरआत बड़े ही तामझाम के साथ की गई थी..और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्कूलों में शिक्षकों समेत गणवेश किताबो की व्यवस्था जल्द से जल्द कराने के निर्देश दिये थे..लेकिन अब जब स्कुलो की साफ सफाई ही ना हो तो बच्चे आखिर कहा बैठेंगे ..इसलिए बच्चे कापी किताब छोड़ खुद हाथ मे झाड़ू लिए स्कुल की सफाई करते नजर आ रहे है..इस पर भी स्कूल की शिक्षिका का अलग तर्क है..शिक्षिका का कहना है स्कूल का अंशकालीन स्वीपर 15 जून से वेतन वृध्दि व नियमितीकरण की मांग को लेकर हड़ताल में है.. स्कूल की सफाई रसोइया करती है..और जब वह रसोई में व्यस्त थी..तब बच्चे खुद से झाड़ू लगा रहे है!..

बता दे कि बलरामपुर जिले के राजपुर ब्लाक के धन्धापुर गांव के प्राथमिक स्कूल के बच्चों का झाड़ू लगाने का मामला जैसे ही सामने आया..इस पर जिला शिक्षा के.एल. महिलांगे अधिकारी ने अपना अलग ही तर्क देते हुए कहा की इसे तूल नही दिया जाना चाहिए…उनका कहना था कि जिले के अधिकांश स्कुलो में अंशकालीन स्वीपर की नियुक्तियां नही हुई है..वहाँ पर शिक्षक व बच्चे ही साफ सफाई करते है..और यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी है!..

बहरहाल प्रदेश में एक ओर सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने स्वामी आत्मानंद हिंदी व इंग्लिश मीडियम स्कुलो की स्थापना की जा रही है..तो वही दूसरी ओर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के स्कुलो की व्यवस्था भगवान भरोसे हो गई है..स्कुलो का आलम तो यह है कि बच्चे बैठने के लिए खुद ही सफाई अभियान में जुटे नजर आ रहे है..यह जिले का पहला ऐसा स्कूल नही है..जहाँ का यह नजारा देखने को मिला है..ऐसे कई स्कूल है जहाँ के हालात इस तरह से नजर आ ही जायेंगे..ऐसे में विभाग के अधिकारियों को व्यवस्था दुरुस्त करने आकस्मिक निरीक्षण करने की दरकार है!..