बस्तर. छत्तीसगढ़ के बस्तर को दहलाने की नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम हो गई है. नक्सली बस्तर में बड़े धमाके की फिराक में थे और इसके लिए देश के अन्य राज्यों से विस्फोटक सामान इकट्ठा कर रहे थे, लेकिन ये सामान बस्तर पहुंचने से पहले ही पुलिस के हाथ चढ़ गया. पड़ोसी राज्य तेलंगाना की करीमनगर कमिश्नरेट पुलिस ने नक्सली संगठन को गोला-बारूद की आपूर्ति करने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
इस मामले की जानकारी देते हुए करीमनगर के सीपी सत्यनारायण ने बताया कि पुलिस की एक टीम मंगलवार सुबह करीमनगर-हैदराबाद रोड पर टोल प्लाज़ा पर चेकिंग कर रही थी इसी दौरान छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के लिए गोला-बारूद ले जाते स्कॉर्पियों और स्विफ्ट वाहन से 14 पेटी डेटोनेटर जब्त किया है. मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में कुछ अन्य लोगों को भी नामजद आरोपी बनाया गया है.
सीपी सत्यनारायण के मुताबिक आरोपी मुदीडेना चिन्नाराव का एक कोरम विजय नाम का दोस्त है. विजय की दोस्ती नक्सली नेता कट्टा रामचंद्रन रेड्डी और सेंट्रल कमेटी मेंबर विकल्प सहित कई बड़े नक्सलियों से है. ऐसे में विजय नक्सलियों को गोला-बारूद की आपूर्ति का काम कर रहा था. उसने पुलिस को बताया कि उन्हें इस काम के लिए 3 लाख रुपए मिले थे. इस मामले में विजय व अन्य आरोपी फरार है. जिनकी तलाश छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की पुलिस कर रही है.
बता दें कि करीमनगर पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 14 पेटी डेटोनेटर जब तक किया है. एक पेटी में 30 नग डेटोनेटर रहते हैं. ऐसे में 14 पेटी में करीब 420 मिनट डेटोनेटर मौजूद थे. इन डेटोनेटर के जरिए कम से कम 300 से ज्यादा धमाके किए जा सकते हैं. बताया जा रहा है कि पुलिस ने जो डेटोनेटर जब्त किया है वह इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर है, डेटोनेटर वह उपकरण है, जो बम को सक्रिय करता है. इसे हम बम का ट्रिगर भी कह सकते है.
नक्सलियों का टीसीओसी क्या है?
वर्तमान में नक्सलियों का टीसीओसी चल रहा है. इस टीसीओसी में नक्सली और खतरनाक हमला करते है. बताया गया कि अब तक बस्तर में जितनी बड़ी वारदातें हुई है वह टीसीओसी के दौरान हुई है. नक्सलियों की टीसीओसी की शुरुआत फरवरी से होती है और मई के अंत तक चलती है.
गौरतलब है कि इतनी बड़ी संख्या में मिले डेटोनेटर से नक्सली पूरे बस्तर को हिला देने जैसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते थे. फिलहाल, इतनी बड़ी संख्या में डेटोनेटर के पकड़े जाने से एक तरफ जहां तेलंगाना पुलिस को बड़ी सफलता मिली है, वहीं बस्तर पुलिस ने भी राहत की सांस ली है और नक्सली संगठन को इससे काफी बड़ा नुकसान हुआ है.