छत्तीसगढ़ राज्य में अब आंदोलनों का दौर शुरु हो चुका है। वन कर्मचारी एवं मनरेगा कर्मियों के बाद अब लिपिकों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बलरामपुर जिला मुख्यालय में लिपिकों के हड़ताल पर चले जाने से समस्त कार्यालय में सन्नाटा पसर गया। कलेक्ट्रेट ट्रेजरी, निर्वाचन, तहसील, जनपद एवं अन्य समस्त कार्यालयों में लिपिकों की हड़ताल से कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ।
गौरतलब है कि महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर प्रदेश के अनेक कर्मचारी संगठन 11 से 13 अप्रैल तक तीन दिवस के निश्चित कालीन हड़ताल कर रहे हैं। इसी क्रम में वेतन विसंगति निराकरण की अपनी वर्षों पुरानी मांग एवं केंद्र सरकार के समान 34% महंगाई भत्ता के लिये लिपिक संघ ने भी आंदोलन का आगाज कर दिया है।
बलरामपुर जिलाध्यक्ष रमेश तिवारी ने बताया कि विगत 40 वर्षों से लिपिकों का वेतनमान में त्रुटि है जिसे सुधार किया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए कई बार आंदोलन भी हुए हैं लेकिन केवल आश्वासन पर लिपिकों को वापस ले लिया गया इसके पहले 2018 में भी लिपिको ने 26 दिन का हड़ताल किया था, जिसके बाद मांगों पर सहमति बन जाने के बावजूद आदेश जारी नहीं हुआ। इसका खामियाजा तत्कालीन सरकार को सत्ता से बेदखल होकर भुगतना पड़ा था। नई सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिपिकों की मांग पूरी करने का घोषणा बिलासपुर में सार्वजनिक मंच से किया परंतु अब तक उस पर कोई क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
अब पुनः लिपिक अपनी वेतनमान सुधार एवं केंद्र सरकार के समान 34% महंगाई भत्ता की मांग को लेकर हड़ताल की पंडाल में डटे हुए हैं। भारी गर्मी एवं उमस के बावजूद लिपिकों के मनोबल में कोई कमी नहीं हुआ एवं महिलाओं सहित सैकड़ों लिपिकों ने सरकार के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शित किया।