भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक विश्लेषण से पता चला है कि भारत ने 121 वर्षों में इस साल औसतन मार्च महीने में अपने सबसे गर्म दिनों को दर्ज किया है, जिसमें देश भर में अधिकतम तापमान सामान्य से 1.86 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। यह रिकॉर्ड तोड़ आंकड़ा उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में अधिकतम तापमान में बड़े अंतर से प्रेरित था।
जबकि भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र ने अपना उच्चतम औसत अधिकतम तापमान दर्ज किया, मध्य भारत ने 1901 के बाद से दिन के तापमान के मामले में अपना दूसरा सबसे गर्म मार्च महीना दर्ज किया। ये आंकड़े तापमान विचलन के पैमाने को दर्शाते हैं, जिसने देश के अधिकांश हिस्सों में मार्च के महीने में ही प्रभावी ढंग से गर्मी का आगाज करा दिया। मार्च के दूसरे पखवाड़े के दौरान उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में लू दर्ज की गई।
विशेषज्ञों ने कहा कि हवा के पैटर्न में असामान्य बदलाव को जलवायु संकट से जोड़ा जा सकता है। इस गर्मी का एक कारण इन क्षेत्रों में वर्षा की कमी को भी माना जा सकता है। मार्च के महीने में हीटवेव की दो घटनाएं हुईं। एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन था, जिसके कारण पश्चिम की ओर से उत्तर और मध्य भारत में गर्मी का संचार हुआ। भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र पुणे के वैज्ञानिक ओपी श्रीजीत ने कहा, कुल मिलाकर ग्लोबल वार्मिंग भी एक मुख्य कारण है। यहां तक कि ला नीना की घटनाओं के दौरान भी हम अक्सर बहुत अधिक तापमान दर्ज कर रहे हैं।
स्काईमेट वेदर सर्विसेज के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) महेश पलावत ने कहा, इस साल मार्च में उच्च तापमान के पीछे का प्राथमिक कारण वर्षा की कमी और उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में लगातार शुष्क और गर्म, पश्चिमी हवाएं रही थीं। हमने यह भी देखा कि बादल रहित आकाश भी सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आया, जिससे तापमान अधिक हो गया। अप्रैल में मौसम के ऐसे ही बने रहने की संभावना है, क्योंकि कोई वेदर सिस्टम नहीं विकसित हो रहा है।
मार्च 2022 के दौरान पूरे देश का औसत अधिकतम, न्यूनतम और औसत तापमान क्रमश: 33.10 डिग्री सेल्सियस, 20.24 डिग्री सेल्सियस और 26.67 डिग्री सेल्सियस था। जबकि वर्ष 1981 से 2010 की अवधि के लिए औसत सामान्य तापमान 31.24 डिग्री सेल्सियस, 18.87 डिग्री सेल्सियस और 25.06 डिग्री सेल्सियस था। उत्तर पश्चिम भारत में, मार्च में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 3.91 डिग्री सेल्सियस अधिक था। औसत न्यूनतम तापमान या रात का तापमान, सामान्य से 2.53 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के साथ 1901 के बाद से दूसरा सबसे ज्यादा था। औसत दैनिक तापमान सामान्य से 3.22 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के साथ दूसरा सबसे ज्यादा था।
मध्य भारत में, यह मार्च अधिकतम तापमान के मामले में 121 वर्षों में दूसरा सबसे गर्म था; औसत तापमान के मामले में तीसरा सबसे गर्म और न्यूनतम तापमान के मामले में चौथा सबसे गर्म था। यह दैनिक औसत तापमान के मामले में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के लिए सबसे गर्म मार्च था; न्यूनतम तापमान के मामले में दूसरा सबसे गर्म और अधिकतम तापमान के मामले में चौथा सबसे गर्म था। केवल प्रायद्वीपीय भारत में कुछ हद तक कम तापमान था: यह दक्षिणी राज्यों के लिए अधिकतम तापमान में नौवां सबसे गर्म मार्च था, औसत तापमान के मामले में चौथा सबसे गर्म था।