नई दिल्ली. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई है. जैसा कि एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था, यूपी में भाजपा सत्ता की तरफ बढ़ती दिख रही है. रुझानों में पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल गया है. वहीं, उत्तराखंड में भी BJP का जलवा बरकरार है. यहां पार्टी को 44 सीटें मिलती नजर आ रही हैं. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर कांग्रेस की प्रियंका गांधी तक जनता को रिझाने में नाकाम साबित हुए हैं. हालांकि, इस जीत के बावजूद ऐसा कुछ है जिस पर भाजपा को ध्यान देने की जरूरत है.
BJP के खाते कम आईं इतनी सीटें
रुझानों के मुताबिक, यूपी में BJP अकेले 252 सीटों पर आगे चल रही है. अगर गठबंधन की बात करें तो ये आंकड़ा 270 हो जाता है. पार्टी का ये प्रदर्शन उसे सत्ता में बैठाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन पिछली बार के मुकाबले भाजपा को इस बार कुछ सीटों का नुकसान भी हुआ है. 2017 में भाजपा ने यूपी में जितनी सीटें जीतीं थीं, मौजूदा रुझानों के अनुसार इस बार उसमें 60 सीटें कम हैं. इसी तरह उत्तराखंड में भी पार्टी को करीब 13 सीटों का नुकसान दिखाई दे रहा है.
अखिलेश के लिए खुश होने की वजह
समाजवादी पार्टी को भले ही उम्मीद अनुरूप परिणाम नहीं मिले हैं, लेकिन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के लिए संतोष की बात ये है कि उनका समर्थन करने वालों की संख्या बढ़ी है. पिछले चुनाव में सपा को जितनी सीटें मिली थीं, उससे ज्यादा इस बार मिलती दिखाई दे रही हैं. रुझानों में सपा अकेले 119 सीटें जीत रही है, ये आंकड़ा पिछली बार की तुलना में 73 ज्यादा है. दूसरे शब्दों में कहें तो 2017 से लेकर अब तक अखिलेश यादव ने जो प्रयास किए हैं, उसका कुछ फायदा उन्हें जरूर मिला है.
बद से बदतर होती जा रही कांग्रेस
कांग्रेस की बात करें तो पार्टी को यूपी में इस बार भी नुकसान उठाना पड़ा है. 2017 में कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. रुझानों में ये आंकड़ा 4 पर सिमटता नजर आ रहा है. यानी पार्टी को 3 सीटों का नुकसान हुआ है. कांग्रेस ने यूपी में इस बार प्रियंका गांधी को चेहरा बनाया था. उनकी रैलियों में जिस तरह से भीड़ उमड़ रही थी, उसे देखकर लग रहा था कि वो दम तोड़ती कांग्रेस के लिए संजीवनी बन सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.