- यातायात प्रभारी को नही थी कोई जानकारी
- प्रभारी महोदय के कार्यालय से चंद कदमो की दूरी का मामला
- पुलिस अधीक्षक का निवास भी इस चौक में स्थित है
- विक्षिप्त संभालता है यातायात और जवान रहते है मोटरसाईकिल में तैनात
अम्बिकापुर
अम्बिकापुर की ट्राफिक व्यवस्था भगवान भरोसे है…. यें कहना शायद इसलिए गलत होगा,,, क्योकि यंहा की ट्राफिक व्यवस्था भगवान भरोसे नही बल्कि एक मानषिक रोगी युवक के भरोसे है… और ट्राफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी रखने वाले पुलिस और नगर सेना के जवान वसूली के भरोसे…. ये हम नही कह रहे है बल्कि हमारे कैमरे में कैद विडियो खुद बंया कर रहा है।
अम्बिकापुर का सबसे व्यस्तम गांधी चौक की ट्राफिक व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी कागजो में भले ही जिला पुलिस बस के साथ नगर सेना के जवानो की हो… लेकिन असल में यंहा की ट्राफिक व्यवस्था को एक मानषिक रोगी युवक संभालता है… दरअसल पिछले कुछ दिनो से शहर के एक दो मुख्य चौक चौराहो के साथ गांधी चौक में ऐसी व्यवस्था देखने में आई है… जंहा पुलिस के जवान अपने मोटरसाईकिल में बैठ कर या तो समय काटते नजर आते है…या फिर ट्राफिक सिंग्नल तोडने वालो से अवैध वसूली करते है.. लेकिन ट्राफिक पुलिस जवान की इस कथित व्यवस्तता के दौरान एक विक्षिप्त कभी राहगीरो ट्राफिक सिग्नल का पाठ पढाता है.. कही गाली गलौज करते हुए राहगीरो की चाभी निकाल लेता है।
इस चौक से गुजरने वाले छात्र रोहित कुमार से जब हमनें यंहा काफी देर से रुके होने कारण पूंछा तो उन्होने बताया कि मैं हडबडी में ट्राफिक सिंग्नल तोड कर जा रहा था। तो यंहा तैनात ट्राफिक जवान नें उसे काफी देर यंहा बिठाया फिर 50 रुपए लेकर छोड दिया। साथ ही ये भी नसीहत दी कि पैसे और ज्यादा लग जाते लेकिन मैनें तुमको बचा लिया। इसी तरह यंहा से गुजरने वाले वेदांत तिवारी नामक युवक नें बताया कि गांधी चौक के साथ शहर के हर चौक चौराहो में ज्यादातर पुलिसकर्मी अपने मोटरसाईकिल में बैठ कर समय काटते है ,,और जब कोई बडे अधिकारी के गुजरने की घंटी बजती तो फिर से वो फिट फाट होकर ड्यूटी में तैनात हो जाते है।
गौरतलब है कि अम्बिकापुर के गांधी चौक में अव्यवस्थित ट्राफिक सिंग्नल को दुरुस्त करने यंहा ट्राफिक सिग्नल लगवाया गया,, जिसके लिए यंहा 5-6 पुलिस जवान को तैनात किया गया। लेकिन इन जवानो पर अवैध वसूली के लगने वाले आरोप काभी गंभीर है… लेकिन हैरानी की बात है कि गांधी चौक से चंद कदमो की दूरी पर यातायात कार्यालय है… जंहा ट्राफिक सुबेदार साहब बैठते है… लेकिन उन्हे ना तो ये पता है कि गांधी चौक की ट्राफिक व्यस्था एक विक्षिप्त संभालता है और ना ही ये पता है कि यातायात व्यवस्था में दिलचस्पी नही रखने वाले पुलिसकर्मी किस तरह से अवैध वसूली करते है…
हांलाकि हमारे द्वारा ट्राफिक इंचार्ज की अधिकारिक बाईट लेने के तत्काल बाद वो गांधी चौक पंहुचे। और हमारी जानकारी पर उनकी आँखो नें भी यकीन किया। लेकिन साहब ये कैसा ओहदा कि आप को ही नही पता कि आप के जवान किस तरह से ट्राफिक व्यवस्था सुचारु रुप से संचालित करवाने के लिए जनजागरण फैला रहे है।