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पालतु गाय की मौत के बाद परिवार हुआ भयभीत
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आवारा कुत्ते के काटने से हुई थी मौत ,
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दूध पीने वाले सभी सदस्य पहुंचे अस्पताल
अम्बिकापुर (दीपक सराठे)
आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि षहरवासी पैदल चले या मोटरसायकल पर, उनका षिकार हो रहे है। जिला अस्पताल में रोजाना इस प्रकार के कई मामलों से यह तो साफ हो गया है कि आवारा कुत्तों की तादात नगर में बढ़ गई है। आवारा कुत्तों की दहषत की एक मामला आज जिला अस्तपताल में देखा गया । जहां एक ही परिवार के सात सदस्योें को एन्टी रेबिज का इंजेक्षन लगवाना पड़ा ।
दरअसल मामला कुछ यह था कि तीन माह पहले उनके घर की पालतु गाय को आवारा कुत्तों ने काट लिया था । दो दिन पहले गाय की मौत हो गई । तीन माह तक गाय का दूध सेवन करने वाले परिवार के सभी सदस्य यह देखकर भयभीत हो गए । आज सभी जिला अस्पताल पहुंचे जहां चिकित्सक ने सभी को एन्टी रेबिज इंजेक्षन लगवाने को कहा । अततःपरिवार के सभी लोगो को इंजेक्षन लगवाना पडा ।
इससे पहले भी अवारा कुत्तो का आंतक
बहरहाल आवारा कुत्तों के आतंक की यह एक पहली तस्वीर नहीं है। रोजाना कुत्तों के काटने से अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। नगर के हर गली , मोहल्लों में नगरवासियों का सुबह -सबेरे सैर पर निकलाना दूभर हो गया है । आलम यह है कि आवारा कुत्ते मोटरसायकल पर जा रहे व्यक्तियों को भी दौड़ाकर अपना षिकार बना रहे है। नगर निगम में कुछ दिन पूर्व एक बैठक लेकर जोर-षोर से यह बात जनप्रतिनिधियो व निगम के अधिकारियों के द्वारा कहीं गई थी कि नगर के आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने उनका बधियाकरण किया जाएगा ।
निगम की अनदेखी
निगम अधिकारियों की इस बात के बाद अखबारों में लोगों ने यह खबर को पढ़ने के बाद राहत की सांस जरूर ली थी परन्तु हर समय की तरह निगम के द्वारा लिया गया यह निर्णय लगता है सिर्फ कागजों तक ही सीमित होकर रह गया । निर्णय लेने केे बाद इस दिषा में कोई पहल , कोई कार्यवाई देखने को नहीं मिली । जहां एक ओर षहर की सड़के आवारा मवेषियों के कारण गौषाला में तब्दील हो चुकी है। वहीं नगर मे बढ़ते कुत्तों का आतंक चरम पर है। जिला अस्पताल का ही रिकार्ड देखें तो कुत्तों के काटने का षिकार होकर रोजाना कई लोग पंहुच रहे है। शहर में आवारा कुत्तों के साथ -साथ पागल हो चुके कुत्तों की संख्या बढ़ चुकी है। इन कुत्तों का रोजाना षिकर हो रहे लोग अब पूरी तरह परेषान हो चुके है। नगर निगम के द्वारा कुत्तों के बधियाकरण किये जाने की योजना लंबे समय से सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। हर साल इसके लिए अलग से प्रयोजन तो तैयार किया जाता है परन्तु पिछले 10 वर्षो में एक भी कुत्तों का बधियाकरण नहीं किया गया । आवारा कुत्तों से नागरिक हीं नहीं बल्कि मवेषी भी परेषान है। कई मोहल्लों में कुत्तों के काटने से मवेषियों के घायल होने की खबर आये दिन सामने आती रहती है।