मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए कई कैदियों को जेल से रिहा करने की योजना बना रही थी. लेकिन अब सरकार के उस ऐलान के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस जनहित याचिका में उल्लेख है कि खतरनाक कैदियों को रिहा करने से समाज के लिए खतरा पैदा हो सकता है. वहीं इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आपको बता दें कि जबलपुर हाईकोर्ट में यह याचिका डॉ. पीजी नाजपांडेय द्वारा दाखिल की गई है. इस याचिका में डॉ. नाजपांडेय ने लिखा है कि बलात्कारी और मासूमों के साथ दुष्कर्म करने वाले कैदियों को भी रिहा किया जा रहा है, इससे समाज में अपराध बढ़ सकते हैं. याचिका में कहा गया है कि इससे दोषियों के खिलाफ गवाही देने वालों और पीड़ित पक्ष के लिए भी खतरा बढ़ जाएगा, पैरोल पर बाहर आकर दोषी इन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. वहीं याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है और 12 जुलाई तक जवाब तलब करने को कहा है.
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में कैदियों को 60 दिन की पैरोल पर रिहा करने का फैसला किया था. जिससे प्रदेशभर की जेलों में बंद करीब साढ़े चार हजार कैदियों को रिहा करने की योजना बनाई गई थी. प्रदेश की जेलों में तय सीमा से ज्यादा की संख्या में बंद कैदियों की वजह से सरकार ने यह फैसला किया था ताकि कैदियों में कोरोना महामारी ना फैले.