मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अनूसूचित जाति की एक नाबालिग लड़की के साथ कथित बलात्कार के मामले में पुलिसकर्मियों द्वारा आरोपियों को बचाने और लड़की व उसके परिजनों के साथ थाने में मारपीट के मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए हैं।
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने कई अधिकारियों को ग्वालियर-चंबल अंचल से बाहर स्थानांतरित करने व 50 हजार रुपए जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है। ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस जीएस अहलुवालिया ने यह आदेश पीडि़ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। यह मामला ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र का है, जहां पर 31 जनवरी 2021 को एक नाबालिग लड़की के साथ उसके मकान मालिक गंगा सिंह भदौरिया के नाती आदित्य भदौरिया और उसके दोस्तों ने कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया। यह लड़की गंगा सिंह के घर पर काम भी करती थी।
इसके बाद पीड़िता और उसके परिजनों ने मुरार थाने में बलात्कार व एससी/एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई। आरोप है कि रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद पुलिस ने हर स्तर पर आरोपियों को बचाने का काम किया और पीड़िता और उसके परिजनों को थाने में बंद करके मारपीट की। इसके बाद लड़की के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी साझा किया गया। जब लड़की ने कोर्ट में धारा 164 में बयान दर्ज कराए तो पुलिसकर्मियों ने उसे जबरन वन स्टॉप सेंटर भेज दिया, जबकि लड़की नाबालिग थी और उसे भेजने का अधिकार पुलिस को नहीं था। यह मामला सामने आने पर उसे परिजनों के पास भेजा गया।
इसके बाद ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक ने इसकी जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर को दी, लेकिन उन्होंने भी कथित तौर पर आरोपियों की मदद की। बाद में यह मामला जांच के लिए मुरार थाने से सिरोल थाने में भेजा गया, लेकिन वहां की थाना प्रभारी प्रीति भार्गव ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। अब न्यायालय ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए मुरार थाना प्रभारी अजय पवार, उप निरीक्षक कीर्ति उपाध्याय के खिलाफ प्राथमिकी व एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
इसके साथ ही इन दोनों अफसरों के अलावा अतिरिक्त एसपी सुमन गुर्जर, सीएसपी रामनरेश पचौरी और इंस्पेक्टर प्रीति भार्गव के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने और ग्वालियर-चंबल रेंज से स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। इन अफसरों पर 50 हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया गया है, जो पीड़िता को तुरंत दिया जाएगा। पीड़िता से कहा गया है कि वह इन अफसरों से अलग से मुआवजे की मांग का मामला दर्ज करा सकती है।
न्यायालय ने कहा है कि जिस प्रकार से पुलिस के निचले अफसरों से लेकर उच्च पदों वाले अफसरों ने आरोपियों को बचाने में मदद की। उससे यह लगता है कि पुलिस इसकी जांच ठीक से नहीं कर पाएगी, इसलिए यह मामला सीबीआई को जांच के लिए सौंपा जाता है और पुलिस इस मामले के सभी दस्तावेज, केस डायरी सीबीआई को उपलब्ध कराए।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कहां-कहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने है इस संबंध में विस्तृत आदेश पारित किया है। यह आदेश सभी राज्यों को दिया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से ग्वालियर के पुलिस थानों में इस आदेश का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने एसपी ग्वालियर को निर्देश दिए कि वे जिन थानों में सीसीटीवी नहीं है वहां हर कमरे को कवर किए जा सके ऐसे सीसीटीवी कैमरे लगवाएं।