मुंबई। महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक किसान के खेत से कुआं चोरी हो गया है। आप सोच रहे होंगे कि भला कुआं कैसे चोरी हो सकता है.? तो आइए आपको बताते हैं कि मामला क्या है।
पूरा खेत खंगाला, लेकिन नहीं मिला कुआं
55 साल के किसान हणमंत कांबले अपने खेत को पूरा खंगाल चुके हैं, ढाई एकड़ के खेत के कई बार चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें अपने खेत में कुआं नजर नहीं आ रहा है। लेकिन गांव की पंचायत समति के रिकॉर्ड के मुताबिक, ना सिर्फ उसके खेत में कुआं है बल्कि स्पेशल कंपोनेंट स्कीम के तहत कुआं खोदने के लिए उसे 75 हजार रुपये का अनुदान भी दिया जा चुका है। अब किसान कांबले परेशान है कि उनके नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर किसने अनुदान की रकम हड़प ली है।
दरअसल, कांबले ने कुआं खोदने के लिए अनुदान हासिल करने हेतु पंचायत समिति को अर्जी दी थी। जब पंचायत समिति ने अर्जी पर संज्ञान लिया तो पता चला कि किसान को 5 साल पहले ही कुएं के लिए अनुदान की रकम दी जा चुकी है। हालांकि किसान का कहना है कि उसने पहली बार अर्जी दी है, और उसे अनुदान की कोई रकम उसे अभी तक नहीं मिली है। ऐसे में सवाल है कि किसने फर्जी दस्तावेज बनाकर किसान की रकम हड़प ली.?
अर्जी के 5 साल पहले किसे मिली रकम.?
औसा तहसील के सेलू गांव में रहने वाले कांबले ने बताया, ‘मैंने जुलाई 2020 में कुआं खोदने के लिए पंचायत समिति को फाइल दी थी। कृषि अधिकारी ने बताया आप तो पहले ही अनुदान ले चुके हो तो मैंने कहा कि मैं तो कभी पंचायत समिति गया ही नहीं।’ इसके बाद कांबले ने RTI की मदद से पूरी जानकारी निकाली। इसमें पता चला कि किसी शख्स ने साल 2014-15 में उसके नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर तत्कालीन डॉक्टर बाबासाहेब अबेडकर कृषि स्वावलंबी योजना के तहत कुआं खोदने के लिए अनुसूचित जाति के लोगों को दी जाने वाली 75 हजार की रकम हड़प ली।
सवालों से बचते नजर आए औसा अधिकारी
इस बारे में जब संवाददाता ने औसा की तहसीलदार शोभा पुजारी से सवाल किए तो उन्होंने जानकारी ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद पंचायत समिति के ग्रुप विकास अधिकारी सूर्यकांत भुजबल से इस मामले पर सवाल किया तो उन्होंने कृषि अधिकारी के पास जाने की बात कहकर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली।
4 दिन में जांच रिपोर्ट सामने आने की उम्मीद
हालांकि कृषि अधिकारी सतीश देशमुख का कहना है कि वो मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे हणमंत कांबले की शिकायत मिली है। मैंने जांच की है और पाया कि खेत में कुआं नहीं है। पंचायत समिति के रिकॉर्ड की जांच कर मैं चार दिनों में रिपोर्ट दे देंगा।’ वहीं इस मामले के सामने आने के बाद आशंका जताई जा रही है कि कई किसानों के फर्जी दस्तावेज बनाकर ना जाने कितने कुएं कागजों पर खोदे गए हैं और किसानों के हक की कितनी रकम इन नकली कुओं में डूब चुकी है।