हरदोई. उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद की बघौली कोतवाली पुलिस को मुर्दों से भी शांति भंग होने का खतरा है. तभी तो पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को शांति भंग करने के मामले मेें पाबंद किया है, जिनका निधन काफी पहले हो चुका है. पुलिस की ओर से नोटिस पहुंचने के बाद घरवाले परेशान हैं. उन्हें नहीं समझ आ रहा कि 3 वर्ष पहले जिसकी मृत्यु हो चुकी है, उसे बांड भरने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने कैसे पेश किया जाए?
हरदोई की बघौली पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर से चर्चा में आ गयी है. यहां की पुलिस इसलिए चर्चा में है, क्योंकि उसको जिंदा व्यक्तियों के साथ-साथ मुर्दों से भी शांति भंग का खतरा है. हालांकि, चुनावों के दौरान ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं, लेकिन इस बार मामूली झगड़े के बाद यह कार्रवाई की गई है. पुलिस को अंदेशा है कि एक मुर्दा भी गांव में आकर शांति भंग कर सकता है. अब बघौली पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है कि इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गयी.
दरअसल, बघौली थाना इलाके के नीभी गांव निवासी राम आसरे के घर बघौली पुलिस द्वारा की गई शांति भंग की कार्रवाई की नोटिस एसडीएम सदर कोर्ट से पहुंची. इस नोटिस में 9 लोगों के नाम शामिल हैं, जिनमें राम आसरे, नरेश, हरिश्चंद्र, रती सिंह, राघवेंद्र, सतीश, गुड्डू, लवकुश और अशोक के नाम शामिल हैं. नोटिस में कहा गया है कि 50-50 हजार की दो जमानती व इतनी ही धनराशि का व्यक्तिगत बांड 1 वर्ष के लिए लगाया जाना है, क्योंकि आपसी झगड़े में संबंध इतने खराब हो गए हैं कि इससे शांति भंग होने का खतरा बढ़ गया है.
पशोपेश में परिवार
यह नोटिस मिलते ही परिवार के लोग भी अचंभित हो गए. इस नोटिस में नामजद हरिश्चंद्र नामक व्यक्ति की करीब 3 वर्ष पहले मौत हो चुकी है. अब परिवार इसलिए परेशान है कि जो व्यक्ति 3 वर्ष पहले मर चुका है, उसको एसडीएम के यहां जमानतदारों के साथ कैसे प्रस्तुत करें. इस बात को लेकर अब परिवार काफी परेशान है.
बघौली पुलिस की इस लापरवाही पर एक तरफ जहां खाकी की किरकिरी हो रही है, वहीं अब थाना प्रभारी की भी मुसीबतें बढ़ गई हैं. पुलिस के उच्चाधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रभारी निरीक्षक से स्पष्टीकरण तलब किया है. अपर पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार सिंह यादव का कहना है कि थाना प्रभारी से स्पष्टीकरण लिया जा रहा है कि किन परिस्थितियों में इस प्रकार की घटना हुई है. उधर, जिले भर के सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया जा रहा है कि इस प्रकार की कार्रवाई करने से पहले सभी तथ्यों को जांच परख लें.