अम्बिकापुर.. सरगुजा जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र मे इन दिनो एक मादा भालू और उसके दो शावक खास चर्चा का केन्द्र बने हुए है.. लेकिन चर्चा के साथ शावको को जन्म देने वाले मादा भालू का खतरा भी गांव वालो पर बना है.. क्योकि गांव वाले भालू के शावको को फीडिंग बाक्स से दूध पिलाने का बडा खतरा मोल ले रहे हैं. लेकिन वन विभाग लोगो को अलर्ट करने की बात कह रहा है..
जिले के उदयपुर वन परिक्षेत्र के डांडगांव इलाके मे खरसुरा गांव है.. यहां के एक खेत मे बीते 18 तारिख को एक मादा भालू ने दो शावको को जन्म दिया था.. जिसके दो दिन बाद वो मादा भालू शावको को लेकर जन्मस्थान से चला गया.. लोगो को लगा कि वो अपने बच्चो को लेकर जंगल मे चला गया.. औऱ लोगो ने राहत की सांस ली.. लेकिन मादा भालू बच्चो को जंगल ना लेजाकर जन्मस्थान से 50 मीटर दूर छोडकर जंगल मे चला गया..
दरअसल 18 तारिख के बाद से अपने बच्चो से साथ जिस मादा भालू ने खरसुरा गांव मे डेरा डाला है.. वो शाम से लेकर सुबह सुबह तक शावको के साथ रहता है.. लेकिन सुबह होते ही जंगल मे निकल जाता है.. ऐसे मे दिन मे भूख लगने पर भालू के शावक अपनी आवाज मे चिल्लाने लगते है.. लिहाजा शावको की भूख को मिटाने के लिए वन विभाग ने स्थानिय लोगो की मदद से एक तरीका खोजा.. और अब ग्रामीण बच्चो को दूध पिलाने वाले फीडिंग बाक्स से भालू के शावको को दूध पिला रहे है.
जिस वक्त ग्रामीण फीडिंग बाक्स से भालू के बच्चो को दूध पिलाते हैं.. उस वक्त मादा भालू जंगल मे रहता है.. लेकिन अगर दूध पिलाने के दौरान भालू गांव मे आ गया तो फिर ग्रामीण पर जानलेवा हमला कर सकता है.. जिस कारण वन विभाग लोगो को अलर्ट करने की दलील भी दे रहा है.. बहरहाल मादा भालू के खतरे के बीच मनुष्य औऱ जंगली जानवरो के बीच का ये प्रेम देखते ही बनता है..
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