महासमुन्द : देश के आकांक्षी जिलो में शामिल छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिला में अब पूरा ट्रांजक्शन डिजिटली होगा। चिल्हर की समस्या से भी निजात मिलेगी । जिले के लीड बैंक अधिकारी अरूण कुमार मिश्रा ने बताया कि आकाक्षी जिलों में शामिल महासमुद जिले में सेविंग खाता वाले 8,25000 से अधिक और करेंट एकाउण्ट वाले तकरीबन 5300 बैंक खाताधारक है। श्री मिश्रा ने बताया कि जिले में 30 से अधिक बैंक संचालित है। उन्हें बैंकों द्वारा डिजिटल सुविधाएं दी जा चुकी हैं। ये लोग डिजिटली भुगतान में सक्षम है यानि कि ये खाताधारी राशि का लेनदेन डिजिटल माध्यम के जरिए कर रहे हैं। इन्हें बैंको द्वारा एटीएम, डेबिट कार्ड, रूपे कार्ड, नेट बैंकिंग, मोबाइल एप, क्यूआर कोड, पीओएस मशीन आदि डिजिटल सुविधा को दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि महासमुन्द जिले को शत्-प्रतिशत डिजिटल एनेबल्ड बनाने का लक्ष्य है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने और डिजिटलीकरण के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश के प्रत्येक राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश से एक-एक जिले को 100 फीसदी डिजिटल एनेबल्ड बनाने का विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश से महासमुन्द जिले का चयन किया गया है। यह जिला देश के 117 आकांक्षी जिलो में शामिल हैं।
डिजिटलीकरण में चूक या ठगी होने का डर लोगों के मन से निकालने के लिए और निदान करने के लिए बैंकों द्वारा जिले में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं। जागरुकता कार्यक्रम के जरिए बैंक खाताधारकों और व्यवसायियों को यह भी बताया जा रहा है कि कौन-कौन से डिजिटल मापदण्ड है और किस तरह से इनका उपयोग करने से उनकी बैंक राशि सुरक्षित रहेगी। जागरूकता के लिए बैंकिंग सिस्टम से जुड़े बैंक सखी, कार्यकर्ताओं व एनजीओ, महिला समूह, एसएसवी ग्रुप को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
लीड बैंक अधिकारी ने बताया कि जिले को डिजिटल एनेबल्ड बनाने का कार्य अक्टूबर 2020 के आखिरी तक पूरा किया जाना था। लेकिन कोरोना काल के चलते इसकी तारीख आगे बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तक कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि जिले की सभी बैंको को निर्देश है कि अपने सभी ग्राहकों को डिजिटल सुविधा दें। दुकानदार, इंडस्ट्रीज, स्कूल, अस्पताल आदि व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को पीओएस या क्यूआर कोड उपलब्ध कराएं। बैंकों द्वारा ये सभी डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। शासन की हितग्राही मूलक योजना संचालित करने वाले सरकारी विभागों में भी डिजिटल माध्यम अपनाया जा रहा है।