सूरजपुर। कोरोना काल मे भले ही मंदिरों के पट न खुले हो, लेकिन कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को रोकने कि आस्था आज भी भगवान पर ही टिकी है। जहां कोरोना काल मे कोरोना संक्रमण को रोकने के मद्देनजर मंदिर समेत ज्यादातर सार्वजनिक स्थलो पर प्रतिबंध है। ऐसे मे पिछले छह माह मे साधु संत भी नजर नही आ रहे है, लेकिन सूरजपुर जिले मे अम्बिकापुर- बनारस मार्ग मे एक साधू कि ऐसी तस्वीर नजर आई जो जिले के लोगो के लिए जिज्ञासा बन गई।
दरअसल तस्वीरो मे दिखाई दे रहा यह साधु सङक पर लेट-लेटकर आगे बढ रहा है, और यह केवल कुछ दुर नही बल्की जगन्नाथ धाम से छह माह पहले निकला है जो कि बद्रीनाथ धाम जा रहा है। ऐसे मे कोरोना काल मे एक ओर प्रशासन लोगो को कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस, मास्क समेत तमाम तरहो के निर्देश का पालन कराने मे जुटी हुई है, तो ऐसे मे धार्मिक आस्था को जीवंत करने वाले साधू अपने तपस्या से विश्वकल्याण के लिए जुटे हुए है।
ऐसा ही कुछ इस साधु कि कहानी है। इस साधू का नाम रामदास है जो कि उङिसा के जगन्नाथ धाम से छह माह पहले निकला है और सड़क पर लेट लेटकर कर उतराखंड के बद्रीनाथ धाम कि यात्रा पुरे रास्ते लेट लेटकर कर भगवान कि तप करके जाने का संकल्प लिया है।
जहां साधु का मानना है कि उसकी इस तपस्या और यात्रा का कारण पुरे विश्व कल्याण और कोरोना से मुक्ती दिलाना है। बहरहाल साधू रामदास कि यात्रा कोरोना के विषम परिस्थिति मे धार्मिक आस्था को जिंदा रखे हुए है।
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