कोरबा – धान का कटोरा के नाम से जाना जाने वाला छत्तीसगढ़ अब काजू का कटोरा भी बन रहा है। आपको बता दें की कोरबा एक हांथी प्रभावित इलाका है, यहां आय दिन हांथी दल किसानो की फसल को नुकसान पहुंचाते है , लेकिन हांथी प्रभावित क्षेत्र होने के बाद भी काजू के किसानो ने एक साल में 220 क्विंटल काजू की बम्पर पैदावार की है।जो छत्तीसगढ़ में काजू की खेती के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक काजू के फल , फूल में कोई खुशबू नहीं होती है।
साथ ही पेड़ों पर काजू कड़वे होते है इसलिए हांथी इन्हे खाने लायक नहीं समझते , और काजू के पेड़ को कभी नुकशान नहीं पहुंचाते।फलतः आदिवासियों के लिए यह पैदावार मुफीद हो रही है। शुरुआती वर्ष 2011 , काजू की खेती में केवल 200 किसान जुड़े थे, काजू का फायदा देख वर्तमान में 30 गांव के लगभग 2000 आदिवासी जुड़ चुके है। काजू के साथ वे आम , नींबू , और सब्जी भी ऊगा रहे है।
काजू का हर भाग बहुत उपयोगी होता है जैसे – काजू के छिलकों से तेल मिलता है जो केसू , सेल आयन के रूप में बिकता है। यह पेन्ट , वार्निश , रबड़, रसायन इंडस्ट्रीज में उपयोगी होता है इतना ही नहीं काजू के फूल से जूस , जैम, अचार अदि भी बनाये जाते है।