पहले तो खुद तहसीलदार ने जारी की ऋण पुस्तिका… फिर की शिकायत…कांग्रेस के नेता ने ले लिए पैसे.. राज्यमंत्री को भनक तक नही लगी!..

अम्बिकापुर..आदिवासी बाहुल्य जिले में वनाधिकार पत्रक की ऋण पुस्तिका बनाकर ग्रामीणों से 13 लाख की उगाही का मामला सामने आया है..मगर दिलचस्प तो यह है..की आखिर बगैर वनाधिकार पत्रक के ऋण पुस्तिका जारी की गई..जिसकी संख्या अब 227 है..और 1200 एकड़ की वनभूमि 21 गांव के ग्रामीणों को बेंच दी गई..इस मामले में सबसे अहम बात तो यह है..खुद तहसीलदार वाड्रफनगर ने ऋण पुस्तिका जारी मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी..और पुलिस ने वाड्रफनगर ब्लाक के ही 3 लोगो के विरूद्ध ठगी का मामला दर्ज किया था..वही अब इस मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे है..और आरोप प्रत्यारोप का क्रम जारी है..इसी बीच केंद्रीय राज्यमंत्री ने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए..अपने हाथ खींच लिए है..जबकि जिला प्रशासन मौन है!..

दरअसल जिले के वाड्रफनगर ब्लाक में वनभूमि को बगैर वनाधिकार पत्रक के ही ऋण पुस्तिका बनाकर बेचे जाने का खेल खेला गया ..इस खेल से वन विभाग अंजान होने की दलील दे रहा है..तो वही कुछ प्रभावशाली लोगों ने रोजगार के रूप अपनाया था..

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मामला जो नियम विरुद्ध..

जानकार सूत्रों की माने तो जंगल को बीच व जंगल के किनारे स्थित गांवो में वन समिति का गठन किया जाता है..जिसमे राजस्व,वन और आदिम जाति विभाग के कर्मचारियों के साथ ही ..ग्राम पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल होते है..जो यह चिन्हित करते है..की किस ग्रामीण को वनाधिकार पत्रक दिया जाए..और उसी के आधार पर प्रतिवेदन राजस्व विभाग,वनविभाग, आदिमजाति कल्याण विभाग को भेजी जाती है..जिसके बाद वनाधिकार पत्रक कलेक्टर,डीएफओ,व सहायक आयुक्त आदिवासी विकास के संयुक्त हस्ताक्षर से जारी किए जाते है..जिसके बाद पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर तहसीलदार द्वारा वनभूमि का ऋण पुस्तिका जारी किया जाता है..लेकिन वाड्रफनगर ब्लाक में जो कुछ हुआ ..वह सब फर्जी तरीके से हुआ ..और नियमो के बिल्कुल विपरीत हुआ ..नकली दस्तावेज नकली हस्ताक्षर से यह खेल असली में बदल गया..नतीजा यह था..की 21 गांवो के 1200 एकड़ वनभूमि का सौदा 14 लाख में कर दिया गया..और फर्जी ऋण पुस्तिका धारी लोग वनभूमि पर काबिज हो लिए..जिसकी जरा सी भी भनक वन अमले को नही लगी..

इस मामले की दिलचस्प कड़ी तो यह है.. की कितने ऋण पुस्तिका बनाकर देने के बाद तहसीलदार रामराज सिंह व नायाब तहसीलदार विनीत सिंह ने अलग -अलग लिखित शिकायतें पुलिस को दी थी..जिसके बाद तहसीलदार को प्रार्थी बनाते हुए..वाड्रफनगर चौकी में भादवि की कई गम्भीर धाराओ में अगस्त माह में मामला दर्ज किया गया था..यही नही अब सर्व आदिवासी समाज ने भी इस मामले में एक्टो सिटी के एक्ट की धाराएं जोड़ने की मांग की है..

मामले से जुड़े एक पटवारी का कहना है..की उसने भूमाफिया द्वारा दी गई ..दस्तावेज की ठीक से पड़ताल नही की थी..और उसने भूमाफिया से पैसे लेकर प्रतिवेदन बनाकर तहसील कार्यालय में जमा किया था..इसके साथ ही पटवारी ने आरोप लगाए थे..तहसीलदार ने दायरा पंजी का अवलोकन किये गए बगैर ही ऋण पुस्तिका जारी कर दी..

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कार्यवाही तो कुछ लोगो पर ही हुई!..

पुलिस ने तहसीलदार के शिकायत में त्वरित कार्यवाही तो की ..पर अब सवाल यह है..की पुलिस ने वाड्रफनगर चौकी के ग्राम बरतीकला निवासी बुधराम व सजन की शिकायतों पर कोई कार्यवाही नही की..जबकि इन ग्रामीणों से भी वनभूमि का ऋण पुस्तिका दिलाने के नाम पर क्षेत्र के कांग्रेस नेता बजरंग गुप्ता ने 14000 रुपये लिए थे..

वही अपने संसदीय क्षेत्र में हो रहे इस तरह के फर्जीवाड़े के मामलों को लेकर आदिवासी मामलों की केंद्रीय राज्यमंत्री व सरगुजा सांसद रेणुका सिंह ने अनभिज्ञता जाहिर की है..जो समझ से परे है..और उनके इस कई गैर जिम्मेदाराना बयान के कई मायने निकाले जा रहे है..