जशपुर. 5 हाथियों के दल ने सांसद गोमती साय के घर पर हमला कर दिया. यह घटना बीती रात 12 बजे की है. सांसद गोमती साय के घर सामने लगे पेड पौधों के साथ बाउंड्रीवाल को भी हाथियों ने तोडा. हाथियों के हमले के समय सांसद रायपुर प्रवास पर थीं. यह घटना तपकरा वनपरिक्षेत्र के मुंडाडीह गाँव की है.
जशपुर जिले में बादलखोल वन अभ्यारण और तपकरा वन परिक्षेत्र में अक्सर दंतैल हाथियों का आतंक देखने को मिलता है. जसपुर के क्षेत्रों में पहले भी हाथियों द्वारा घातक हमले देखे जा चुके हैं. हाथियों द्वारा फसलों एवं घरों को नस्ट करना अक्सर देखा गया है. वन विभाग द्वारा साथियों को काबू करने के सारे उपाय हमेशा फेल ही दिखाई दिए. कई बार तो यह भी देखा गया कि वन अमला मौके पर पहुंचा ही नहीं.
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरीडोर भी कहा जाता है. प्रमाण मिलते हैं कि यह इलाका सदियों से हाथियों के विचरण क्षेत्र का हिस्सा रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे, इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गए. इधर ओडिशा से भी इनका पलायन जशपुर, रायगढ़, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.
हाथियों की समस्या से निपटने वन विभाग ने ढेरों उपाय किये. पहले हुल्ला पार्टी मशाल लेकर खदेड़ती थी. अब यह बंद है, गांवों में सोलर फेंसिंग कराई गई, वह भी गायब हो गई है. अब लोगों को हाथियों की लोकेशन की सूचना देने के साथ जंगल में नहीं जाने की मुनादी कराई जाती है. कुमकी हाथियों पर लाखों खर्चने के बाद अभियान फेल रहा है.