बीजापुर. कोरोना वायरस के कारण देश भर में लगे लाॅकडाउन से उपजी एक भयावह और दिल दहला देने वाली घटना छत्तीसगढ के बीजापुर जिले मे सामने आई है. यहाँ तीन दिनों तक अपने परिवार से साथ पैदल चलने वाली 12 साल की नाबालिग बच्ची ने दम तोड दिया है. दरअसल बच्ची अपने परिवार के साथ बीजापुर के आदेड गांव से मिर्ची तोडने पड़ोसी राज्य तेलंगाना के पेरूर गांव गई हुई थी.
जानकारी के मुताबिक दूसरे फेस के लाॅकडाउन लगने के बाद 12 वर्षीय बालिका अपने गांव के 11 लोगों के साथ पैदल ही जंगली पहाडी रास्ते से होते हुए तेलंगाना से बीजापुर के लिए रवाना हुई थी. तेलंगाना से लगातार 3 दिनों तक पैदल सफर कर 12 साल की मृतका जमलो मडकामी छत्तीसगढ के बीजापुर के मोदकपाल इलाके में पहुॅंची ही थी. कि इस मासूम बच्ची की अचनाक संदेहास्पद मौत हो गयी.
गौरतलब है कि बीजापुर के आदेड गांव की 12 साल की जमलो मडकामी अपने ही गांव के कुछ लोगों के साथ रोजगार की तलाश में आज से 2 महीने पहले मिर्ची तोडने तेलंगाना के पेरूर गांव गयी हुई थी. लेकिन लाॅकडाउन का दूसरा फेस लगने के बाद 16 अप्रैल को तेलंगाना से वापस ये मासूम बच्ची अपने साथियों के साथ बीजापुर के लिए पैदल ही रवाना हुई. फिर करीब 100 किलोमीटर का पहाडी जंगली सफर पैदल ही तय कर 11 मजदूरों के साथ 18 अप्रैल को किसी तरह बीजापुर के मोदकपाल तक पहुंच ही पाई थी. कि इसी दौरान 12 वर्षीय जमलो कि मौत हो गयी.
इधर बीजापुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ बी.आर. पुजारी के मुताबिक तेलंगाना से पैदल लौट रहे मजदूरों के दस्ते में से एक बच्ची के मौत की खबर लगते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम हरकत में आयी. बच्ची के शव को बीजापुर लाने के साथ ही उनके साथ पैदल सफर कर रहे सभी मजदूरों को क्वरंटाइन कर लिया गया. एहतियात के तौर पर शव का कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल भी भेजा गया. जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई. वही बच्ची की मौत के बाद डाॅ. पुजारी ने ये संभावना व्यक्त कि है कि गर्मी मे तीन दिनो तक पैदल चलने की वजह से शरीर में इलेक्टाॅल इम्बेलेंस या पानी की कमी होने की से बच्ची की मौत हुई होगी. हालांकि पोस्टमार्टम का रिपोर्ट आने के बाद ही बच्ची के मौत का असल वजह स्पष्ट हो पायेगा.
बाल श्रमिक 12 वर्षीय बच्ची मौत कि खबर लगते ही एहतियात के तौर पर प्रशासन ने बच्ची के शव साथ दूसरे प्रदेश यानि कि तेलंगाना से आ रहे मजदूरों को भी क्वरंटाइंन कर दिया. तो वही अपनी इकलौती बेटी की मौत की खबर लगते ही पिता आंदोराम मडकम और मां सुकमती मडकम जिला चिकित्सालय बीजापुर पहुंचे..और फिर मौत के तीन दिनों बाद आज बच्ची के शव का पोस्टमार्टम बीजापुर में हुआ..और शव परिजनों को सौंपा गया.
जमलो के पिता ने मीडिया को बताया कि 2 महीने पहले उनकी मासूम बेटी रोजगार की तलाश में तेलंगाना गयी हुई थी. लाॅकडाउन के दूसरा फेस लगने के बाद गांव के लोंगो के साथ पैदल ही वापस लौट रही थी. इसी दौरान उनकी बेटी की मौत हो गयी. मौत की खबर भी उन्हें जमलो के मजदूर साथियों से मिली.
बहरहाल छत्तीसगढ़ की एक नाबालिग को अगर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य में पलायन करना पड रहा है. तो ये हमारे सिस्टम की बहुत बडा फेलुअर है..और जमलो कि मौत हमारी सरकारों और सिस्टम चलाने वालों के लिए बेहद शर्मनाक बात है.