अम्बिकापुर
भू-माफियाओ पर पुलिस का कितना नियंत्रण है इसकी बानगी अम्बिकापुर मे तब देखने को मिली। जब भू-माफियाओ की खिलाफत करने वाली महिला की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही की। और महिला को न्यायालय से न्याय मिला। मामला शहर से लगे क्रांतिप्रकाशपुर गांव का है। जंहा एक महिला ने एक सफेदपोश भू-माफिया का विरोध किया तो उसके साथ उसके गुर्गो ने अनैतिक कृत्य करने का प्रयास किया। लेकिन जिस महिला के साहस और जज्बे को पुलिस को सलाम करना था। उस पुलिस ने महिला की रिपोर्ट तक नही लिखी। लिहाजा उसने न्यायालय की शरण ली। और अब न्यायालय ने महिला की शिकायत पर उसी पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देष दिए है,, जिसने 6 माह पूर्व एफआईआर लिखने से मना कर दिया था।
अम्बिकापुर मे शासकीय जमीन और कमजोर तबके के लोगो पर दबाव बना कर उनकी जमीन हडकपने वाले भूमाफियाओ की तादात बढती जा रही है। जिसमे कुछ सफेदपोश है, तो कुछ निगरानीशुदा बदमाश है । ऐसे ही एक सफेदपोश भूमाफिया द्वारा पिछले दिनो क्रांतिप्रकाशपुर मे आदिवासियो और सरकारी जमीन पर कब्जे का प्रयास किया जा रहा था। जिसको लेकर गांव की ही एक महिला उमा पाण्डेय ने भू-माफियाओ के खिलाफ आवाज उठाई। और ग्रामीणो ने भी उसकी मदद की। तो मामला कलेक्टर के पास पंहुच गया। और कलेक्टर ने उस गांव की पूरी जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी। लेकिन उस जमीन को हथियाने अपने गुर्गो और नीचले प्रशासनिक तंत्र पर रुपया खर्च कर चुके भू-माफिया को ये नागवार गुजरा। और उसने महिला को सबक सिखाने के लिए 23 मई 2014 को उसके घर कुछ गुण्डे भेजे । जिसने उसके साथ जोर जबरस्ती की। पीडित महिला उमा पाण्डेय की माने तो इनमे क्षेत्र का पटवारी संजय सिंह, शहर के चर्चित कबाडी फारुख का बेटा और इरफान नाम के निगरानीशुदा बदमाश के अलावा 2 और लोग थे।
महिला के मुताबिक 23 मई की रात उसके साथ होने वाली घटना आस पडोस के लोगो की सक्रियता से टल गई। लेकिन जब घर घुस कर अपने साथ हुई जबरजस्ती की शिकायत महिला ने शहर के कोतवाली थाना और पुलिस अधीक्षक से की। तो मोबाईल लोकेशन को जांच का आधार बना कर पुलिस ने एफआईआर करने से मना कर दिया। हांलाकि महिला ने अपने साथ हुए अनैतिक कृत के प्रयास की शिकायत परिवाद के माध्यम से की। तो अब न्यायालय ने महिला के परिवाद को स्वीकार करते हुए कोतवाली थाना प्रभारी को महिला की शिकायत पर एफआईआर और आरोपियो के खिलाफ उचित कार्यवाही के निर्देष दे दिए है।
हैरानी की बात है कि एक तरफ देश की सर्वोच्च अदालत आवेदन को ही एफआईआर का नाम देता हो, तो अम्बिकापुर की कोतवाली पुलिस खुद के कानून बनाने मे भिडी है। बहरहाल देश मे एक तरफ तो नारी के उत्थान के अथक प्रयास जारी है। तो दूसरी ओर आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला मे एक महिला के साथ अत्याचार की शिकायत पुलिस न्यायालय के आदेश के बाद एफआईआर मे तब्दील कर रही है। ऐसे मे ये विचार करना जरुरी हो जाता है..कि क्या सच मे नारी पुरुषो की बराबरी कर सकती है।