लेखक – वरिष्ठ पत्रकार
अम्बिकापुर. इस तस्वीर को देखकर चौंकिए नहीं….! यह किसान का खेत नहीं…..उत्तरी छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 है…..ब्रिटिश काल में बनी सिंगल लेन सड़क आजाद भारत मे राष्ट्रीय राजमार्ग तो घोषित हो गई पर दुर्दशा नहीं सुधरी….! इस सिंगल लेन राष्ट्रीय राजमार्ग का चौड़ीकरण और निर्माण कार्य तीन वर्ष पहले शुरू तो हुआ पर अब तक पूरा नहीं हो पाया…..
कई निर्माण एजेंसियां बदल गई…..न जाने कितने विवाद हुए…..विपक्ष ने कई बार इसको लेकर आंदोलन किया… न जाने कितने लोगों की जान इस खस्ताहाल सड़क के कारण दुर्घटनाओं में चली गई. पर यह सड़क नहीं बन पाई….. किसी तरह निर्माण एजेंसी बदली तो साधन संसाधन के अभाव में निर्माण की गति इतनी धीमी रही कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग में सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर लुचकी घाट से चेन्द्रा, रघुनाथपुर, लमगांव, बतौली तक सड़क की ऐसी दुर्दशा है कि लोग इस मार्ग पर आवागमन की कल्पना कर लोग सिहर उठते हैं.
सूखे में धूल के गुबार से लोग परेशान रहे और इधर पिछले कई दिनों से बेमौसम बारिश के बाद इस निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत धान की रोपाई के लिए पलेवा करने वाले खेत की तरह हो गया है…. दलदल और कीचड़ में चलना लोगों की मजबूरी बन गई है. हर रोज जाम लगना ….और जाम में फंसना लोगों की आदत में शामिल हो गया है…
“फटाफट न्यूज” को इस राष्ट्रीय राजमार्ग की जो तस्वीर हाथ लगी है उसमें किसान अपने खेतों की जोताई के लिए बैलों को लेकर जा रहा है… जिसे देख कोई भी कह सकता है कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग से नहीं गुजर रहा बल्कि खेतों की जोताई कर रहा है….धान की रोपाई के लिए पलेवा (कीचड़) कर रहा है.
सवाल ?
– इस प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग की कोई भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी क्यों सुध नहीं लेता ?
– निर्माण की गति क्यों तेज नहीं होती ..?
– कोई भी नेता या मंत्री इतनी दुर्दशा के बाद कोई पहल क्यों नहीं करता..?
– इस सड़क की दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है..?