जुगाड़ के सरकारी भवन में असुविधाओं का दंश झेल रही नर्सिंग की छात्राएं.. शिक़ायत करने पहुंची कलेक्टोरेट.. हॉस्टल प्रबंधन में मचा हड़कंप .. मनाने पहुँची अधीक्षिका

अम्बिकापुर. नर्सिंग कालेज की नई बिल्डिंग मेडिकल कॉलेज को दिए जाने की वजह से नर्सिंग कॉलेज कालेज की छात्राओं का सिस्टम खानाबदोश की तरह हो गया है. पिछले एक साल मे तीसरी बार हॉस्टल शिफ्टिंग से परेशान छात्राएं. अब नए छात्रावस मे बुनियादी समस्याओं से जुझने को मजबूर हैं..और अपने हक की सुविधाओ की मांग करने पर छात्राओं को अधीक्षिका से निकाल देने की धमकियां मिलने लगी हैं. जिससे डरी सहमी छात्राओ ने इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियो से की है. छात्रावास में दूषित पानी पीने से कुछ बच्चियां बिमार भी पड गई हैं. जिनका इलाज जिला अस्पताल मे चल रहा है.

गौरतलब है की अम्बिकापुर का शासकीय नर्सिंग कॉलेज और हास्टल प्रबंधन की बदइंतजामी की वजह से छात्राओ के लिए मुसीबत का पहाड बनता जा रहा है. यहां पढने वाली छात्राएं नर्सिंग की पढाई करके मरीजो की सेवा की ट्रेनिंग ले रही है. लेकिन नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन और शासन की व्यवस्थाओ के कारण इन छात्राओ की पढाई कम और परेशानी ज्यादा हो रही है. गौरतलब है कि नर्सिंग कालेज बनने के बाद इन छात्राओ के छात्रावास को तीन साल मे तीसरी बार शिफ्ट किया गया है. शिफ्टिंग के बाद ये छात्रावास शासन के लाईवलीवुड कॉलेज मे संचालित है. जहां छात्राओ को सबसे जरूरी माने जाने वाले पानी की समस्या से जूझना पड रहा है. इतना ही नही पानी उपल्बध कराने की मांग पर छात्रावास अधीक्षिका द्वारा उनको हॉस्टल से निकाल देने की धमकिया मिलने लगी है. जिससे परेशान छात्राएं आज सोमवार को कॉलेज यूनिफार्म मे कलेक्ट्रेट पहुंच गई और प्रशासनिक अधिकारियो से इस बदइंतजामी की शिकायत की है.

दरअसल नर्सिंग कॉलेज और हॉस्टल के लिए करीब तीन साल पहले शहर के गंगापुर इलाके मे भवन बन कर तैयार हो गया था. लेकिन उस बिल्डिंग को भवन विहीन मेडिकल कॉलेज को दे दिया गया. जिसके कारण नर्सिंग की छात्राओ को पहले दो बार निजी भवन मे संचालित छात्रावास मे रहना पडा और अब जब इनको तीसरी बार जुगाड के शासकीय भवन मे शिफ्ट किया गया तो वहां पानी की समस्या के साथ ही एक कमरे मे 8 से 10 छात्राओ का रहना पड रहा है. इधर इन छात्राओ के कलेक्ट्रेट पहुंचने पर एसडीएम अजय कुमार त्रिपाठी ने इनकी समस्याएं सुनी और छात्राओ को ये आश्वसन दिया कि आज ही निगम के अधिकारियो और नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन के साथ बैठकर सभी समस्याओ को हल कर लिया जाएगा.

इधर नाराज छात्राओ के कलेक्ट्रेट पहुंचने की खबर मिलते ही नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य और अधीक्षिका भी हडबडा कर वहां पहुंच गई. जहां पहुंचने पर पहले तो इन्होने छात्राओ को बिना शिकायत पत्र दिए वापस ले जाने का प्रयास किया. लेकिन लगातार असुविधा झेल रहीं छात्राएं नही मानी. हालाकि बाद मे मीडिया से चर्चा के दौरान कॉलेज की प्राचार्य तृप्ति सोनी ने पूरी अव्यवस्था के लिए निगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा दिया. उनके मुताबिक उन्होने नल कनेक्शन के लिए निगम आयुक्त को पत्र लिखा था. लेकिन उनके द्वारा दिए समय मे भी नल कनेक्शन नहीं लगा. जिसके कारण छात्रावास मे पानी की समस्या बनी हुई है.

गौरतलब है कि शासकीय नर्सिंग कॉलेज मे पानी की समस्या के कारण छात्राओ को टैंकर का पानी पीना पड रहा है. जिससे कई छात्राएं बिमार पड गई है. उनका इलाज भी कराया जा रहा है. बहरहाल जल ही जीवन के स्लोगन दीवारों मे पढने मे जरुर अच्छे लगते हैं. लेकिन जब दीवरों मे स्लोगन लिखवाने वाले ही पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार हो तो फिर ऐसे ही बवाल होता है.