अदानी की कम पगार : युवाओ को चोरी के लिए कर रही है विवश

Adani Coal Block
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अम्बिकापुर

कोई कंपनी किसी को चोरी करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है क्या ? वो भी ऐसे लोगो को जिनकी जमीन मे ही कंपनी ने अपना एंपायर खडा किया हो ? कहने, सुनने मे ये बात अजीब सी लगती है। लेकिन सरगुजा के उस केते गांव के लोगो तो यही कहना है। जंहा  अदानी कंपनी कोयला का उत्खन्न कर रही है।कभी हरे भरे पेड और जंगली जडी बूटियो के साथ जंगल के शान कहे वाले जंगली जानवरो की चहलदकमी से खिलखिलाने वाले केते परसा गांव मे अदानी कंपनी तीन साल से कोयला का उत्खन्न कर रही है। लेकिन इन तीन वर्षो मे नियमो कायदो के मुताबिक यंहा के भोले भाले आदिवासी पुनर्वास और बुनयादी सुविधा की

Adani Coal Block resist
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मांग भी करते आ रहे है। लेकिन मांग पूरी ना होने पर इनके सब्रा का बांध टूट गया। और ये कंपनी के खिलाफ लामबंद हो गए है। इतना ही नही रोजगार का वादा करने के बाद भी बेरोजगारी के हालात और कम पगार पर ज्यादा काम कराने के कारण गांव के कुछ युवाओ ने पिछले दिनो कंपनी का लोहा लंगड चोरी कर लिया। लेकिन चोरी स्वीकारने के बाद भी उनकी जानवरो की तरह पिटाई की गई।

गांव की सनियारो का पति पुलिस चोरी के मामले मे गिरफ्तार हो चुका है । वो स्वीकार करती है कि उसके पति ने चोरी की ।लेकिन चोरी वजह सुनकर आपको भी हैरानी होगी। सनियारो और ननकुमारी जैसी गांव की और महिलाओ का भी कहना है कि कंपनी ने उनके हर के मर्दो को नौकरी के एवज मे 10-15 हजार रुपए देने का वादा किया था। लेकिन 4-5 हजार रुपए दे रहा है।  और पूरी जमीन भी कंपनी ने अधिग्रहित कर ली है। और ऐसे मे घर का खर्चा नही चलता है। जिससे चोरी करने के लिए विवश हुए।

Adani Coal Block
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अदानी कोल ब्लाक प्रभावित,, केते परसा गांव मे अब ये चर्चा है कि कंपनी गांव के युवाओ को योग्यता अनुसार नौकरी देने के बजाय अपनी करतूतो से युवाओ को चोरी के लिए प्रेरित कर रही है। लिहाजा भोले भाले कहे जाने वाले आदिवासी आज अपने हक के लिए लामबंद हो गए है। और कंपनी के उत्खन्न और परिवहन को तीन दिनो से बंद करा दिया है। लेकिन चोरी का जुर्म कबूल चुके गांव के युवाओ की बेदम पिटाई के आरोप और अधिक परिश्रम मे कम पगार के मुद्दे का सवाल जब हमने जिम्मेदार अधिकारी से किया। तो उन्होने भी कहा वेतन सम्मान जनक मिलना चाहिए।

अचरज की बात है कि सरगुजा जिले के जिस गांव को अधिग्रहित कर अदानी ने उत्खन्न शुरु किया है,, उस गांव के लोगो को पुनर्वास,रोजगार और बुनायादी सुविधा देने के बजाय पूरा अदानी प्रबंधन उनके चरित्र परिवर्तन करने मे लग गया है। बहरहाल लोगो की अपेक्षाओ मे खरा उतरने का दावा करने वाली अदानी कंपनी अगर ऐसा ही तानाशाही करती रही तो वो दिन दूर नही जब अदानी से आजादी की मांग बुलंद होने लगेगी।

 

 

 

नांद साय भगत , एसडीएम

गांव वालो से अभी इस संबध मे चर्चा तो नही हुई है,, लेकिन अगर ऐसी बात है तो सम्मान जनक तन्खाव देना चाहिए।