अम्बिकापुर
- तीन साल से लागातार वादाखिलाफी का विरोध
- पुर्नवास नीति के तहत अब तक नही दिए माकान
- शिक्षा, स्वास्थ, बिजली, पानी के लिए मोहताज है ग्रामीण
सरगुजा जिले मे कुछ वर्ष पूर्व इफको पावर प्लांट की स्थापना की शुरुआत हुई थी ,,तो पुनर्वास ,पर्यावरण और रोजगार के मुद्दे भी उठे और आदिवासियो की अपेक्षा पर खरा ना उतरने पर इफको बंद हो गई। लेकिन अब अदानी कोल ब्लाक प्रबंधन द्वारा ग्रामीणो को मिले आश्वासन भी पूरे नही हो रहे है। तो ग्रामीणो ने अदानी कोयला खदान का विरोध करना शुरु कर दिया है। और उसका उत्पादन और परिवहन पूरी तरह से बंद करा दिया है।
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले मे तीन पूर्व ,,कोयला उत्खन्न के लिए अदानी माईनिंग कंपनी ने ,, परसा ,केते और आस पास के गांवो का अधिग्रहण कर लिया था। और ग्रामीणो की जमीन से कोयला निकालना शुरु कर दिया था। इस दौरान अदानी ने आदर्श पुनर्वास निति के पालन करने और प्रभावित गांवो मे सीएसआर वर्क से लोगो की बुनयादी आवश्कताओ की पूर्ती के दावे भी किए थे। इतना ही नही जमीन के बदले घर और योग्यता अनुसार नौकरी के वादे भी किए थे। लेकिन तीन वर्षो मे अदानी कोल ब्लाक प्रबंधन द्वारा करोडो के कोयले का उतखन्न तो कर लिया गया। लेकिन केते ,परसा, साल्ही जैसे प्रभावित गांवो की स्थिती जस की तस है। जो ग्रामीण पहले अपने आप मे मस्त थे। आज वो अदानी के तानाशाही रवैये से त्रस्त है।
आलम ये है कि ग्रामीणो के आशियानो को नस्तेनाबूत करके या तो खदान खोली जा चुकी है या फिर खुली खदान का मलवा और खदान की ब्लास्टिंग उनके घरौदो के दफन करने की साजिश रच रही है। लेकिन इस तीन साल से लंबे अंतराल मे अदानी कोल माईन्स प्रबंधन ने ना ही पुनर्वास नीति के तहत ग्रामीणो को छत मुहैया कराया है,, और ना बिजली,पानी,शिक्षा और स्वास्थ की सुविधा । लिहाजा ग्रामीणो ने अदानी की खदान तब तक के लिए बंद करा दी है । जब तक कि उनसे किए वादे ना पूरे हो जाए । लेकिन प्रशासन की ओर से पंहुचे एसडीएम श्री भगत ने अदानी को निर्देश दिए है,, कि ग्रामीणो से किए वादे जल्द पूरा करे।
प्रभावित गांवो के ग्रामीणो और अदानी कोल ब्लाक प्रबंधन के बीच समझौता कराने पंहुचे एसडीएम साहब भी मानते है कि उनको घर नही मिला इसलिए ग्रामीण नाराज है, और जल्द ही उनके लिए घर और सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। लेकिन सतह मे दिखने वाली रोटी,कपडा और माकान की समस्याओ के बावजूद अदानी के जिम्मेदार अधिकारी प्रवीण शर्मा, असिस्टेंट मनेजर कहते है कि उनकी कंपनी सभी नियमो की पालन कर रही है।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही के कुछ वर्षो मे आबंटित कोल ब्लाक के बारे मे अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। लेकिन अदानी जैसे बहुचर्चित कंपनी को भला उससे क्या फर्क पडता है। फर्क पडता है तो आदिवासी बाहुल्य इलाके मे रहने वाले इन ग्रामीणो को जिनकी जमीनो से करोडो कमा कर भी कंपनी,, इन्हे ही भूखा रखने की योजना बना रही है। बहरहाल ऐसे मे अदानी कोल ब्लाक मे परिवहन और उत्खन्न कब शुरु होगा ये कहना मुश्किल है।