प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अंतिम पंक्ति के लोगों तक न्याय पहुंचाने छत्तीसगढ़ सरकार वचनबद्ध

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रायपुर

डिजिटल कोर्ट परियोजना के लिए 18.70 करोड़ रूपए मंजूर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों तक न्याय पहुंचाने के लिए उनकी सरकार वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि जनता की सुविधा के लिए राज्य में न्याय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने हरसंभव प्रयास कर रही है। महिलाओं और बच्चों पर होने वाले उत्पीड़न से संबंधित मामलों में अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके, इसके लिए वर्ष 2013-14 में 21 फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं।
डॉ. रमन सिंह ने आज सवेरे नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में यह जानकारी दी। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एच.एल. दत्तु , केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री डी.व्ही. सदानंद गौड़ा भी उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री नवीन सिन्हा और विधि विभाग के प्रमुख सचिव श्री ए.के. सामंत रे भी सम्मेलन में मौजूद थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री दत्तु और देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आत्मीय सौजन्य मुलाकात भी की।
डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में न्यायिक सेवाओं और सुविधाओं के विकास तथा विस्तार के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। न्याय पालिका के मार्गदर्शन में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गो सहित समाज के सभी वर्गों के लोगों तक न्याय पहुंचाने के लिए राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में तहसील स्तर में भी अत्यंत कम दूरियों में व्यवहार न्यायालयों और अतिरिक्त जिला न्यायालयों की स्थापना की है। उन्होंने सम्मेलन में बताया कि प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के भवन निर्माण के लिए नये वित्तीय वर्ष 2015-16 में 26 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। अदालतों को सूचना प्रौद्योगिकी से जोड़कर उनके काम-काज को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल कोर्ट परियोजना के तहत दो वर्ष में 18 करोड़ 70 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं। इसमें से सात करोड़ 12 लाख रूपए का बजट प्रावधान नये वित्तीय वर्ष 2015-16 में और ग्यारह करोड़ 58 लाख रूपए का प्रावधान पिछले वित्तीय वर्ष में किया गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार ने लोक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय व्यवस्था की दृष्टि से भी कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने गरीबों के लिए वर्ष 2012 में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कानून बनाकर न सिर्फ भूख से मुक्ति की व्यवस्था की, बल्कि पोषण सुरक्षा के लिए भी समुचित कदम उठाया।

डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन में यह भी बताया कि न्यायदान प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य शासन ने वर्ष 2007-08 में 25 व्यवहार न्यायालय, वर्ष 2008-09 में 25 व्यवहार न्यायालय, वर्ष 2010-11 में 2 व्यवहार न्यायालय, वर्ष 2011-12 में 11 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय, वर्ष 2012-13 में 2 व्यवहार न्यायालय एवं 20 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय, 6 जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के न्यायालय तथा 1 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश का न्यायालय तहसील सरायपाली में, नक्सली प्रकरणों के विचारण हेतु नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में एक विशेष न्यायालय एवं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत प्रकरणों के विचारण हेतु 5 अतिरिक्त विशेष न्यायालयों की स्थापना की स्वीकृति राज्य शासन ने दी है। डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन में बताया कि ग्यारहवें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य में वर्ष 2001 में 31 फास्ट-टेªक कोर्ट बनाए गए थे, लेकिन केन्द्रीय सहायता नहीं मिलने के कारण 31 मार्च 2011 से हमारे यहां भी ये फास्ट-टेªक कोर्ट समाप्त हो चुके थे, लेकिन राज्य शासन द्वारा इन 31 फास्ट-टेªक अदालतों के स्थान पर 31 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालयों का सृजन करते हुए राज्य में न्यायालयों की संख्या पूर्ववत कर दी गई। इससे फास्ट-टेªक कोर्ट समाप्त होने पर भी अदालतों की संख्या में कोई फर्क नहीं आया। राज्य में महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों के जल्द विचारण और अपराधियों को जल्द सजा दिलाने के लिए वर्ष 2013-14 में 21 फास्ट-टेªक कोर्ट स्थापित किए गए।
सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा  कि छत्तीसगढ़ शासन का यह सतत् प्रयास रहा है कि न्यायिक सुविधा को जनता के अनुकूल और उनके निकट आसानी से पहुंचाया जा सके और उसके साथ ही न्यायालयीन स्टाफ अपने कार्य को पूरी तत्परता से कर सके, इसके लिये हम आवश्यक आधारभूत संरचना के निर्माण कार्य में लगे हुये हैं। इसके लिये जहां एक ओर सर्व सुविधायुक्त न्यायालयीन भवनों एवं परिसरों का निर्माण किया जा रहा है, वहीं न्यायिक अधिकारियों को भी उनकी गरिमा के अनुरूप निवास एवं अन्य सुविधायें देने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य सतत् प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि, वर्ष 2014 में ही न्यायालय भवन, न्यायिक अधिकारियों के आवास एवं न्यायिक कर्मचारियों के आवास, न्यायालय के कम्प्यूटरीकरण एवं न्यायालय परिसर के अन्य कार्य हेतु राज्य शासन ने लगभग 107 करोड़ रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की है। इसके अलावा उच्च न्यायालय भवन का निर्माण 24 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किया गया है और निर्माण कार्य हेतु राज्य शासन के द्वारा 106 करोड़ 60 लाख 32 हजार रूपये की राशि प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, छŸाीसगढ़ में न्यायालयीन प्रकरणों के उचित प्रबंधन हेतु उच्च न्यायालय एवं प्रत्येक जिला न्यायालयों में कोर्ट मैनेजर की नियुक्ति की गई है, जो प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु सुनवाई के क्रम का प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने बताया कि, राज्य न्यायिक अकादमी को भी सुदृढ़ करने के लिये वर्ष 2013-2014 में राज्य शासन ने अकादमी के लिये 50 पदों की स्वीकृति देते हुए वर्ष 2013-14 में 01 करोड़ रूपये बजट का प्रावधान रखा था। इसके अलावा सभी जिला न्यायालयों और न्यायाधीशों को इन्टरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये भी पृथक से बजट आबंटित किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि, उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से राज्य में 6 दिसम्बर, 2014 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था, जिसमें लाखों प्रकरणों का निराकरण किया गया और महत्वपूर्ण रूप से न्यायालय में लंबित 16,639 प्रकरणों का निराकरण भी इस लोक अदालत में किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य में नागरिकों के समुचित विकास एवं उन्हें समान न्याय और विधि के समक्ष समानता के मार्ग को प्रशस्त करने के लिए जो कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उससे राज्य के प्रत्येक नागरिक लाभान्वित हो रहे हैं। लोगों को विधि, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवागमन, रोजगार इत्यादि की मूलभूत सुविधा उपलब्ध हो, शासन की यह प्राथमिकता है। छत्तीसगढ़ शासन, राज्य को विकास के पथ पर गतिमान रखने के साथ ही समाज की अंतिम पंक्ति के उत्थान के प्रति भी संवेदनशील दृष्टिकोण रखती है, यही शासन की मूल भावना है।
उन्होंने कहा कि, राज्य शासन प्रतिबद्ध है कि राज्य का कोई भी नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न हो और न्यायपालिका सुदृढ़ रहे, इसके लिये सम्मेलन में जो भी प्रस्ताव पारित किये जायेंगे, उसका पालन तो किया ही जायेगा। इसके अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय जिस भी प्रकार का सहयोग राज्य शासन से अपेक्षित करेगी उसे पूरा करने के लिये राज्य शासन हमेशा तत्पर रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि, मुझे उम्मीद है कि यह सम्मेलन देश के किसी भी नागरिक को शीघ्र और प्रभावी न्याय दिलाने में सहायक होगा और मैं इस सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं।