धनतेरस पर्व पर इस साल विशेष संयोग, जानें- शुभ मुहूर्त और पूजन की विशेष विधि

खरीदारी के लिए धनतेरस को बेहद शुभ माना जाता है। इस लेकर धर्म-शास्‍त्रों, ज्‍योतिष और वास्‍तु शास्‍त्र में कुछ नियम बताए गए हैं। इसमें धनतेरस के दिन क्‍या खरीदना चाहिए और क्‍या नहीं, कैसे पूजन करें, इस बारे में भी विस्‍तार से बताया गया है। सनातन धर्म में कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर्व मनाया जाता है। दो नवंबर, 2021 मंगलवार को धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस के साथ ही पांच दिवसीय दिपावली उत्सव की शुरुआत हो जाती है, जिसमें पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिपावली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है।

इस वर्ष त्रयोदशी तिथि दो नवंबर मंगलवार सुबह 8:35 बजे लग रही है, जो तीन नवंबर को सुबह 7:14 बजे तक रहेगी। यमराज को दीपदान के लिए सायंकाल व्याप्त त्रयोदशी की प्रधानता मानी जाती है। अत: मंगलवार शाम त्रयोदशी तिथि मिलने के कारण दो नवंबर को ही धनतेरस मनाया जाएगा।

धनतेरस पर्व के दिन सोना-चांदी, स्टील, फूल, पीतल के बर्तन की खरीदारी करना शुभ माना गया है। इस दिन शाम को घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उस पर यमराज के निमित्त दक्षिणाभिमुख दीपदान करना चाहिए। दीपदान के समय इस मंत्र का जाप भी करें।

  • मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
  • त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीयतामिति।।
  • अर्थात यमुना यमराज की बहन हैं। इसलिए धनतेरस के दिन यमुना-स्नान का विशेष महात्म्य है।

धनवंतरि की आराधना का महान पर्व धनतेरस : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार मनुष्य का असली धन उसका स्वास्थ्य है। अत: आरोग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान धनवंतरि का पूजन करना चाहिए। धनवंतरि को सनातन धर्म में आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का वैद्य माना जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार पृथ्वी लोक में इनका अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरि, चतुर्दशी को काली माता, अमावस्या को भगवती लक्ष्मी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इस कारण दीपावली के दो दिन पूर्व त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि का जन्मदिवस मनाया जाता है। भगवान धनवंतरि हर प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाते हैं।

त्रिपुष्कर योग का बन रहा शुभ संयोग : धनतेरस के दिन विशेष नक्षत्रों और कालखंड के संयोग से त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस योग में जो भी कार्य किया जाता है, उसका तिगुना फल प्राप्त होता है। इस दिन धन का निवेश करके लाभ कमाया जा सकता है। त्रिपुष्कर योग के अलावा अमृत योग भी धनतेरस के दिन बन रहा है। अमृत योग नई चीजों की खरीदारी के लिए उत्तम माना गया है। यह योग धनतेरस के दिन सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा।

तीन ग्रहों की युति : धनतेरस के दिन तीन ग्रहों की युति भी हो रही है। सूर्य, मंगल और बुध ग्रह धनतेरस के दिन तुला राशि में गोचर करेंगे। बुध और मंगल मिलकर धन योग का निर्माण करते हैं। वहीं सूर्य-बुध की युति बुधादित्य योग का निर्माण करेगी। इस योग को राजयोग की श्रेणी में रखा गया है। यह योग तुला राशि में बन रहा है, जो व्यापार की कारक राशि मानी जाती है। मंगल-बुध की युति व्यापार के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। कारोबारी इस दिन निवेश करके या नई योजनाओं को लागू करके आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं।

ऐसे करें पूजन : धनतेरस की शाम को उत्तर दिशा में कुबेर, धनवंतरि और माता लक्ष्मी की पूजा करें। घर के पुराने और नए आभूषणों व बर्तन को एक बड़ी थाल में सजाकर उस पर रोली, अक्षत, पुष्प चढ़ाएं। उसके बाद घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद, भगवान धनवंतरि को पीला मिष्ठान अर्पित करें। इसके बाद ‘ओम ह्रीं कुबेराय नम:’ मंत्र का जाप करें। फिर धनवंतरि स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें।