2300 वर्ष पुराने शारदा पीठ के खुले द्वार, मंदिर में पिछले करीब 70 सालों से नहीं हुई थी पूजा

नई दिल्ली..हिंदू नववर्ष के पहले दिन आज कश्मीर से बड़ी खबर सामने आई। जम्मू कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल से केवल 700 मीटर की दूरी पर बने शारदा पीठ मंदिर को आज से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। शारदा पीठ मंदिर नया बनवाया गया है। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले में स्थित शारदा पीठ में, सदियों से मां शारदा का मंदिर बना हुआ था लेकिन 1947 में जब कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था तो मंदिर को जला दिया गया था।

सेव शारदा कमेटी कई वर्षों से ये मंदिर दोबारा बनवाने की कोशिश कर रही थी। 2021 में शारदा पीठ का नया मंदिर बनना शुरू हुआ और दिसंबर 2021 में मंदिर का भूमि पूजन किया गया। ये मंदिर, ठीक उसी जगह पर बना है, जहां पुराना मंदिर था। मंदिर, POK में स्थित मुख्य शारदा पीठ से केवल 30 किलोमीटर दूर है।

1947 से पहले, यहां से छड़ी मुबारक, नीलम घाटी में स्थित शारदा पीठ तक जाती थी। हालांकि, 1947 के बाद ये सिलसिला टूट गया था। आज जब नए बने मंदिर में पूजा-पाठ शुरू हुआ, तो जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा और दिल्ली से होम मिनिस्टर अमित शाह भी वर्चुअली इस प्रोग्राम से जुड़े। अमित शाह ने कहा कि शारदा पीठ मंदिर का पुनर्निर्माण एक ऐतिहासिक अवसर है। अब मां शारदा का आशीर्वाद जम्मू कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश को मिलेगा।

कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ से आई मूर्ति


शारदा पीठ मंदिर में जो मूर्ति लगाई गई है, वो कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ से आई है। कहा जाता है कि शारदा पीठ के प्राचीन मंदिर की स्थापना, आदि शंकराचार्य ने की थी। उन्होंने श्रृंगेरी से ही मां शारदा की प्रतिमा लाकर यहां स्थापित की थी लेकिन, 1947 में देश के बंटवारे के वक्त कबाइलियों ने मंदिर को जला डाला था। इस मंदिर के पास एक मस्जिद और एक गुरुद्वारा भी था। मां शारदा को कश्मीरी पंडितों की आराध्य देवी कहा जाता है। उनके नाम से ही कश्मीर की सभ्यता और लिपि प्रचलित थी। इसलिए मंदिर के पुनर्निर्माण से कश्मीरी पंडितों में विशेष उत्साह है।

जिस जमीन पर शारदा पीठ का मंदिर बना है, उसके दस्तावेज़ कुपवाड़ा के ही एक मुस्लिम परिवार के पास जमा थे। जब सेव शारदा कमेटी ने मंदिर बनवाने की मुहिम शुरू की तो मुस्लिम फैमिली ने जमीन के कागजात, कश्मीरी पंडितों को सौंप दिए। मंदिर बनवाने में कुपवाड़ा के एजाज खान ने काफी मदद दी। आज जब शारदा पीठ मंदिर में पूजा शुरू हुई तो इलाके के मुस्लिम भी पहुंचे। इन लोगों ने कहा कि शारद पीठ के पुनर्निर्माण से ये बात साबित होती है कि घाटी में कश्मीरियत ज़िंदा है।

यह मंदिर नियंत्रण रेखा के करीब किशनगंगा नदी के तट पर बनाया गया है। यह नदी पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करती है, जिसके एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। यह मंदिर वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब किशनगंगा नदी के तट पर बनाया गया है। यह नदी पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित करती है, जिसके एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। अमित शाह ने मंदिर के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘रविंदर पंडिता ने कहा है कि शारदा पीठ को करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर तीर्थयात्रियों के लिए खोला जाना चाहिए। भारत सरकार निश्चित रूप से इस दिशा में प्रयास करेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है।

आपको बता दें, कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के बाद से ही सीमा पार व्यापार और श्रीनगर-मुजफ्फराबाद बस सेवाओं को 2019 से अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पीओके में तीर्थयात्रा के लिए एक गलियारा खोलना दोनों पक्षों के बीच संपर्क बहाल करने की दिशा में पहला बड़ा कदम होगा. प्राचीन शारदा मंदिर और शारदा पीठ, नियंत्रण रेखा के पार पीओके में नीलम घाटी में स्थित है।