भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां जेल में बंद पेशेवर अपराधी खुद को बदल रहे हैं। इतना ही नहीं बड़े-बड़े अपराधी पाप की दुनिया को छोड़कर आध्यात्म की तरफ रुख कर रहे है। कैदियों को जेल के भीतर ही मंत्रोच्चारण और पुरोहित बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है। कैदियों को पुरोहित बनाने की ये पहल ‘गायत्री शक्तिपीठ’ द्वारा चलाई जा रही है। हालांकि ये ट्रेनिंग ये ट्रेनिंग अनिवार्य नहीं है, केवल वैदिक अनुष्ठानों में रुचि रखने वालों को सीखने की अनुमति है। भोपाल सेंट्रल जेल के कैदी सबक ले रहे हैं ताकि जेल से छूटने के बाद वे अनुष्ठान कर सकें और सम्मानजनक जीवन यापन कर सकें।
गायत्री शक्तिपीठ द्वारा दी जा रही इस ट्रेनिंग से कैदी आत्मनिर्भर बनेंगे। जेल में कैदियों को पूजा, हवन, यज्ञ में संकल्प आहुति, विसर्जन के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्रों को भी सिखाया जा रहा है। धारा प्रवाह मंत्र बोलने के लिए बंदी को तरीका बताया जा रहा है। स्वर और मात्रा की भी जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण में कर्मकांड की विधि के अलावा बौद्धिक ज्ञान भी दिया जा रहा है। कैदियों को देवी देवताओं की कथा और प्रेरणादायी प्रसंग भी पढ़ाए जा रहे है।
जेल अधीक्षक दिनेश नरगवे ने कहा कि, जेलों के कैदी या तो अवसाद में हैं या आक्रामकता में हैं। उनमें से अधिकांश अधपढ़े और गरीब हैं। हमने कैदियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता महसूस की ताकि वे अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा महसूस करें। सीखने के इच्छुक 50-60 कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहे हैं।
कैदियों को ट्रेनिंग दे रहे पुजारी सदानंद अमरेकर ने कहा कि ‘हम इन कैदियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं क्योंकि वे समाज से अलग हैं। उन्हें अनुष्ठान सिखाया जा रहा है ताकि वे लोगों की भलाई के लिए काम कर सकें। समाज में खुद को एक अच्छे व्यक्ति के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से पुजारी प्रशिक्षण आयोजित किया गया है और पुरोहित का अर्थ दूसरों की देखभाल करना है। अभी तक 50 कैदी हैं, जिनके लिए हम उनसे बात करने के बाद चयन किया है। हमने उन्हें उनकी योग्यता, सीखने की क्षमता और अनुष्ठान सीखने की गहरी रुचि के आधार पर चुना है। प्रशिक्षण सत्र 28 मार्च को समाप्त होगा।’