हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी के साथ ‘‘तानसेन समारोह’’ शुरू। साम्प्रदायिक सदभाव का सजीव दर्शन..

साम्प्रदायिक सदभाव के हुए सजीव दर्शन

भोपाल : शुक्रवार, दिसम्बर 27, 2013, 16:44 IST
 

भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रतिष्ठापूर्ण ‘‘तानसेन समारोह’’ हजीरा स्थित तानसेन समाधि-स्थल पर परंपरागत ढंग से शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन के साथ शुरू हुआ। सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में पिछले 89 वर्ष से हो रहे तानसेन समारोह में इस साल भी ब्रह्मनाद के शीर्षस्थ साधक तानसेन समाधि परिसर से गान मनीषी तानसेन को स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं।

शुक्रवार की भोर में तानसेन समाधि-स्थल पर उस्ताद मजीद खाँ ने शहनाई वादन किया। इसके बाद नाथपंथी संत श्रीकांतनाथ ढोलीबुआ महाराज ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन द्वारा मानवीय रिश्तों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि रोजा और व्रत, मुल्ला और पण्डित, ख्वाजा और आचार्य के उद्देश्य तथा मत एक ही है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। ढोली बुआ महाराज ने भजन गायन किया।

मौलाना इकबाल मोहम्मद और साथियों ने मिलाद शरीफ का गायन किया। अन्त में हजरत मोहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई।

271213n11राज्य शासन की उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी एवं मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के सहयोग से‘तानसेन समारोह” 27 से 30 दिसम्बर तक होगा। समारोह में कुल छः संगीत सभा होंगीं। पहली पाँच सभा तानसेन समाधि-स्थल पर सजेंगी। अंतिम एवं छठवीं सभा तानसेन की जन्म-स्थली मुरार जनपद पंचायत के ग्राम बेहट में झिलमिल नदी के किनारे 30 दिसम्बर की सुबह होगी।