लगातार दूसरी बार जीता मध्यप्रदेश ने प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मेहनती किसानों को दिया पुरस्कार का श्रेय
कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक नवाचारी कृषि योजनाओं वाला राज्य बना प्रदेश

भोपाल : शुक्रवार, जनवरी 3, 2014, 20:20 IST

मध्यप्रदेश को लगातार दूसरी बार कृषि क्षेत्र में सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये भारत सरकार के प्रतिष्ठित कृषि कर्मण पुरस्कार के लिये चुना गया है। यह पुरस्कार प्रदेश को सकल खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी में दिया जायेगा। राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी यह पुरस्कार नागपुर में 09 फऱवरी 2014 को कृषि वसंत राष्ट्रीय कृषि मेला और प्रदर्शनी के शुभारंभ अवसर पर भव्य समारोह में प्रदान करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री, संबंधित सभी अधिकारियों और किसानों को बधाई दी है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पुरस्कार का श्रेय प्रदेश के मेहनती किसानों को दिया है। उन्होंने कहा कि वर्षभर कड़ी मेहनत कर किसानों ने मध्यप्रदेश को उत्पादन वृद्धि में देश के प्रथम श्रेणी के राज्य के रूप में स्थापित किया है।

भारत सरकार की समिति ने पाया कि अनाज उत्पादन करने वाले बड़े राज्यों में मध्यप्रदेश के अलावा बिहार, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, पंजाब और राजस्थान आते हैं। अनाज उत्पादन की वृद्धि दर पिछले साल की तुलना में सर्वाधिक13.4 प्रतिशत में पायी गयी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012-13 में सभी खाद्यान्नों में 278 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था। इसमें कुल गेहूँ 161 लाख मीट्रिक टन था। सकल अनाज के उत्पादन की वृद्धि में इस प्रकार मध्यप्रदेश गत वर्ष की तुलना में दोहरे अंक से ज्यादा की बढ़त हासिल करते हुए देश में सर्वाधिक कृषि उत्पादन वृद्धि वाला राज्य बना। मध्यप्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष भी दोहरे अंक की बढ़त निरंतर बनाये रखी।

विपुल अनाज उत्पादन के क्षेत्र में गेहूँ, चावल, दलहन और मोटे अनाज भी है। वर्ष 2012-13 में दलहन, धान और मोटे अनाज का अलग-अलग उत्पादन क्रमश: 50 लाख टन, 30 लाख टन, 36 लाख टन रहा। फसलों की उत्पादकता में वृद्धि भी इस सम्मान का एक मानक है। मध्यप्रदेश ने गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 14.42 प्रतिशत वृद्धि प्राप्त की। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में मध्यप्रदेश में गेहूँ का उपार्जन नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

नवाचारी योजनाएँ

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में प्रदाय आवंटन के उपयोग को भी एक मानक माना था। इसके साथ-साथ विभिन्न नवाचारों में भी मध्यप्रदेश आगे रहा है। विशेष रूप से उल्लेखनीय पहल जो मध्यप्रदेश में हुई उसमें जीरो प्रतिशत ब्याज पर रूपये 10345 करोड़ कृषि ऋण, बीज उत्पादन सहकारी समितियों का विस्तार, गेहूँ, धान, मक्का, चने के खाद्यान्नों में बीज प्रतिस्थापन दर में उल्लेखनीय वृद्धि प्राप्त करना, कृषि केबिनेट का गठन, हलधर योजना के माध्यम से किसानों के खेतों में गहरी जुताई, 50 हजार रिज एण्ड फरो का वितरण, श्री पद्धति से धान उत्पादन, संकर मक्का का 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को वितरण, यंत्रदूत ग्राम योजना में 139 ग्राम को विकसित किया जाना, उर्वरक के अग्रिम भंडारण की योजना, ई-उपार्जन जैसे अभिनव नवाचारों को विशेष रूप से मध्यप्रदेश में अपनाया गया। सिंचित क्षेत्र का भी तेजी से विस्तार हुआ, जिससे गेहूँ और अन्य सिंचित फसलों की उत्पादकता बढ़ी।