मध्यस्थता के माध्यम से अधिकाधिक प्रकरणों का निराकरण होगा लाभदायक :श्री प्रद्युम्न सिंह

मध्स्थता जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न

शहडोल

“शुभम तिवारी”

जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण श्री प्रद्युम्न सिंह ने कहा है कि ज्यादा से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण मध्यस्थता के माध्यम से ही कराये जाएं। इससे न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में कमी आयेगी तथा पक्षकारों को धन, समय एवं न्याय का लाभ मिलेगा। उन्होने कहा कि पक्षकारों को मीडिएटर के समक्ष समय पर उपस्थित होना भी आवष्यक है, उनका सहयोग मिले तभी मध्स्थता का कार्यक्रम साकार होगा। उन्होने का कि राजीनामा हेतु क्लेम के प्रकरणों को भी मध्यस्थता के माध्यम से निपटाने में सहयोग देना चाहिए साथ ही मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत होने वाले प्रकरणों एवं पक्षकारों को इससे प्राप्त लाभों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर न्यायाधीश श्री आर.एस.कन्नौजिया, अतिरिक्त न्यायाधीश श्री सोनकर, राज्य अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष  दिनेश नारायण पाठक, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष  दिनेश दीक्षित, जिला विधिक सेवा अधिकारी  दीक्षित सहित काफी संख्या में न्यायाधीश गण, अधिवक्ता गण, प्रशिक्षित मीडिएटर, पक्षकार उपस्थित थे।

मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम में न्यायाधीष श्री आर.एस.कन्नौजिया ने कहा कि मध्यस्थता कार्यक्रम को सफल एवं रोचक बनाने हेतु अधिवक्तागण कम से कम समय में प्रकरणों को निराकृत कराने का प्रयास करें तो यह कार्यक्रम और लोकप्रिय होगा। उन्होने कहा कि यह कार्य सभी के समन्वय से अधिक सफल और अच्छा होगा। लंबित प्रकरणों के स्थल निरीक्षण आवष्यकता के अनुरूप ही करायें जाएं। उन्होने कहा कि पक्षकारों एवं मीडिएटर का आपसी सामंजस्य भी आवष्यक है। इस मौके पर न्यायाधीष सुश्री पद्मा राजोरे ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि युगयुगांतर से चली आ रही मध्यस्थता की प्रथा वर्तमान में पक्षकारों के मध्य विवादों को बातचीत के माध्यम से हल करने का अभिनव तरीका है इससे छोटी छोटी समस्याओं का भी निदान संभव है। इस हेतु प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालय व पक्षकारों तथा मीडिएटर की तन्मयता भी आवश्यक है। जिला बार एषोसियेषन के अध्यक्ष दिनेश दीक्षित ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर चलाया जा रहा मध्यस्थता कार्यक्रम हर आम लोगों के हितार्थ है इसमें सभी अधिवक्ताओं को एवं पक्षकारों को सहभागिता निभानी होगी। उन्होने कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत प्रकरणों से आम व्यक्तियों को अनेंक फायदे हो रहे हैं। इस कार्य को सुचारू रूप से करना चाहिए। इस मौके पर प्रषिक्षित मीडिएटर एवं एडवोकेट श्रीमती उर्मिला मिश्रा ने कहा कि मीडिएटर को दोनो पक्षकारों के प्रकरण सौंपने चाहिए इससे प्रकरण के निराकरण में अधिक सहायता होगी व कम समय में निराकरण संभव हो सकेगा। उन्होने पक्षकारों को समय पर बुलावे में उपस्थित सुनिष्चित कराने के भी लिए कहा।

कार्यक्रम के पूर्व में जिला विधिक सेवा अधिकारी  दीक्षित ने कहा कि भारतीय संविधान में तीन तरह की न्याय की व्यवस्था सुनिष्चित की गई है। उन्होने लोगों के न्यायालयीन प्रकरणों को आपसी सामंजस्य के साथ बातचीत के जरिए उसका हल निकालने पर बल दिया तथा कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण में अनेंकों प्रकार के लाभ परिलक्षित हो रहे हैं।

समनी बैगा को दिलाई गई ट्राईसायकल

शहडोल जिले के गोहपारू जनपद पंचायत स्थित लामर ग्राम निवासी 55 वर्षीय दिव्यांग समनी बैगा ने न्यायालय में जाकर कुछ दिन पूर्व अपनी दिव्यांगता की जानकारी देते हुये बताया कि मुझे आने-जाने की सुविधा हेतु ट्राईसायकल की आवष्यकता है परंतु कई बार प्रयास करने पर भी मुझे ट्राईसायकल नहीं उपलब्ध कराई जा रही है। समनी बैगा की व्यथा को जिला न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुये जिला विधिक सेवा अधिकारी श्री बी.डी.दीक्षित को समनी बैगा की समस्या का हल मध्यस्थता के माध्यम से करने हेतु अधिकृत किया। श्री दीक्षित ने पंचायत एवं सामाजिक न्याय में सम्पर्क कर समनी बैगा की समस्या निराकरण करवाया और आज मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम में दिव्यांग समनी बैगा को जिला एवं सत्र न्यायाधीष श्री प्रद्युम्न सिंह एवं न्यायाधीशो ने ट्राईसायकल उपलब्ध करवाई। ट्राईसायकल में बैठकर समनी बैगा प्रसन्न मुद्रा में दिख रही थी तथा उसने बतायाकि अब मुझे आने-जाने एवं रोजमर्रा के कार्यों में काफी सहूलियत होगी।