मध्यप्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यटन की असीम संभावनाएँ : मुख्यमंत्री श्री चौहान

पर्यटन क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे
पालपुर कूनो में एशियाई सिंह आने का रास्ता साफ

भोपाल : गुरूवार, दिसम्बर 26, 2013, 20:43 IST

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के पालपुर कूनो के जंगल में गुजरात राज्य से बब्बर शेर लाने का रास्ता न्यायालय के निर्णय के बाद साफ हो गया है। कूनो के सघन वन क्षेत्र में एशियाई सिंह दहाड़ेंगें और यह पूरी दुनिया के पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र बनेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिये विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये।

आज मंत्रालय में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की समीक्षा में प्रदेश में पर्यटन की असीम संभावनाओं की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश की पहचान बनाने और बढ़ाने वाले अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों का स्वरूप निर्धारित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि खजुराहो नृत्य उत्सव, भगोरिया उत्सव, तानसेन समारोह जैसे आयोजनों को और ज्यादा विस्तार देने और उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पर्यटन की असीम संभावनाओं का विश्व-स्तरीय प्रचार-प्रसार किया जाये। भारत भवन को भी किसी सीमा में नहीं बाँध कर पूरे विश्व से कला, साहित्य, संगीत तथा रंगकर्म की विलक्षण प्रतिभाएँ आमंत्रित की जायें।

मुख्यमंत्री ने पर्यटन के क्षेत्र में युवाओं को रोजगार देने की पहल करते हुए ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजित करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की अपनी सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक विशेषताएँ हैं। इसकी जानकारी विश्व पर्यटन उद्योग से जुड़े सभी लोगों को होना चाहिए। इससे अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को यात्रा योजनाएँ बनाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सुविचारित प्रसार योजना बनायें। बजट की कोई कमी नहीं है। उन्होंने नये पर्यटन क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें पर्यटन-स्थल के रूप में बढ़ावा देने के निर्देश दिये। नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नर्मदा – क्षिप्रा के संगम-स्थल पर पर्यटन-स्थल बन सकता हैं। मड़ई और पालपुर कूनो जैसे नये क्षेत्रों को भी वैश्विक पहचान मिल सकती है। इसी प्रकार चूरना, रातापानी जैसे अनेक सुंदर वन क्षेत्र भोपाल के आसपास स्थित हैं जो पर्यटन का आकर्षण बन सकते हैं। साँची और खजुराहो में गोल्फ कोर्स प्रस्तावित किया जा रहा है। भोपाल की प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत ताजमहल को भी पर्यटन का आकर्षण केन्द्र बनाने के लिये इसके पुरातात्विक स्वरूप से छेड़छाड़ किये बगैर व्यवसायिक उपयोग के लिये तैयार किया जायेगा। अटल बिहारी बाजपेई रीजनल पार्क इन्दौर में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट शुरू किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने इंदिरा सागर आयलेंड में भी पर्यटन गतिविधियाँ शुरू करने के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने भारत भवन को फिर से कला प्रतिभाओं के प्रदर्शन का अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र बनाने के लिये विशेष प्रयास करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि भारत भवन की वैश्विक पहचान के लिये अनूठे और रचनात्मक प्रयासों की जरूरत है।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में आने वाले पर्यटक की संख्या 2006 में 1 करोड़ 10 लाख के लगभग थी जो अब 5 करोड़ 30 लाख तक पहुँच गयी है। “हुनर से रोजगार” योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे हैं। पिछले दो साल में 3500 युवाओं को पर्यटन क्षेत्र में स्थाई रोजगार मिला। पचमढ़ी में 10 एकड़ क्षेत्र में आयुर्वेद स्वास्थ्य केन्द्र बनेगा। चोरल, मंदसौर और तामिया में मध्यप्रदेश पर्यटन की अतिरिक्त इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं।

पर्यटन को बढ़ावा देने की 100 दिन की कार्ययोजना बनायी गई है। पर्यटन को नई पहचान देने के लिये 20 पर्यटन आयोजन को अंतिम रूप दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त कर चुके पर्यटन आयोजनों की तारीखें तय कर व्यापक प्रचार-प्रसार की रणनीति बनायी गई है। पालपुर कूनो अभयारण्य को ईको टूरिज्म के लिये तैयार किया जा रहा है। यह भी जानकारी दी गई कि पर्यटन की नई वेबसाइट 2014 की शुरूआत में तैयार कर ली जायेगी। इसमें साँची, ओरछा, खजुराहो और अन्य स्थलों के वर्चुअल टूर की सुविधा भी होगी।

बैठक में संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डि सा, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री बी.पी. सिंह, कमिश्नर पुरातत्व श्री पंकज राग, मुख्यमंत्री के सचिव श्री एस.के. मिश्रा, श्री हरिरंजन राव, म.प्र. पर्यटन विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री राघवेन्द्र सिंह, संस्कृति संचालक श्री श्रीराम तिवारी उपस्थित थे। बैठक में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने “संत सेन भगत” किताब का विमोचन किया।