मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के सामने आए नतीजों के बाद कई दिग्जज नेता औंधे मुह गिरे है।
2013 के चुनावो मे जनता जनार्दन ने नेताओ के साथ ही चुनावी पंडितो को भी चौकाने वाले नतीजे दिए है , इन चुनावों में सबसे चौंकाने वाला नतीजा रायसेन जिले की भोजपुर सीट पर आया है, जहां पूर्व केन्द्रीय मंत्री, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी को भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा के भतीजे सुरेन्द्र पटवा के हाथों 15 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजय मिली है. सुरेश पचौरी वही नेता है, जो मध्यप्रदेश मे भाजपा की करारी हार के दावे दम भर कर कर रहे थे।
इसी प्रकार 2003 से 2008 के बीच राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे हजारीलाल रघुवंशी को होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा सीट पर लगातार दूसरी बार भाजपा सरकार के निवर्तमान वन मंत्री सरताज सिंह के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा है.
भाजपा की दूसरी बार बनी शिवराज सरकार में जनसंपर्क और संस्कृति मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा (सिरोंज), पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे एवं निवर्तमान चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्र (भितरवार), निवर्तमान राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा (इछावर), निवर्तमान पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई (पाटन), श्रम मंत्री जगन्नाथ सिंह (चितरंगी), कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया (राजनगर), आदिमजाति कल्याण राज्यमंत्री हरिशंकर खटीक (जतारा), पर्यटन राज्यमंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह (पवई) और सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री के एल अग्रवाल (बम्होरी) भी इस चुनाव में पराजित हुए हैं, जबकि भाजपा ने पिछले बार की 143 सीटों के मुकाबले इस बार 165 सीटों पर जीत दर्ज की है.
कांग्रेस की सीटें इस बार अप्रत्याशित तौर पर कम हुई हैं और वह 71 से सिमट कर 58 सीटों पर रह गई है. इस चुनाव में उसके भी कई दिग्गजों को पराजय का स्वाद चखना पड़ा है, जिनमें पिछली तेरहवीं विधानसभा में विधायक रहे निषीथ पटेल (बहोरीबंद), कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक रहे एन पी प्रजापति (गोटेगांव), बड़नगर विधायक राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, ग्वालियर विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर, पृथ्वीपुर विधायक बृजेन्द्र सिंह राठौर, सांची विधायक प्रभुराम चौधरी, खिलचीपुर विधायक प्रियवत सिंह तथा पूर्व सांसद अंतर सिंह दरबार (महू) शामिल हैं.