दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश ने महाराष्ट्र को पीछे छोड़ा – अगले दो साल में पंजाब, गुजरात से आगे होंगे..

राष्ट्रीय स्तर पर साँची ब्रांड उत्पादों के विपणन की रणनीति बनायें मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा विभागों की 100 दिन कार्य-योजना की समीक्षा

भोपाल : शुक्रवार, जनवरी 3, 2014, 19:03 IST

मध्यप्रदेश ने दुग्ध उत्पादन में महाराष्ट्र को पीछे छोड दिया है। अगले पाँच साल में दुग्ध उत्पादन 10 प्रतिशत तक बढ़ जायेगा। इसके साथ ही अगले दो साल में मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में पंजाब और गुजरात से आगे होगा। यह जानकारी आज यहाँ पशुपालन विभाग की 100 दिन की कार्य-योजना पर चर्चा में दी गई। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अगले 100 दिन में कम से कम 500 नई दुग्ध समिति के गठन और चलित पशु चिकित्सा इकाइयों की स्थापना करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मौजूदा पशु औषधालयों में सुधार लायें और जरूरत अनुसार उनका उन्नयन भी करें।

श्री चौहान ने मध्यप्रदेश दुग्ध संघ की गतिविधियों पर चर्चा करते हुए साँची ब्रांड उत्पादों की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज करवाने की योजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि साँची ब्रांड उत्पादों के बडे़ पैमाने पर विपणन की जरूरत है।

बैठक में बताया गया कि अगले 100 दिन में 138 पशु औषधालय का उन्नयन किया जायेगा तथा 80 नये पशु औषधालय की स्थापना की जायेगी। मुख्यमंत्री ने आवारा पशुओं के प्रबंधन, उनकी देखभाल के संबंध में कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये ताकि इस संबंध में नीतिगत निर्णय लिया जा सके। बैठक में बताया गया कि सौ दिन में चार हजार से ज्यादा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर पशु उपचार सुविधा केन्द्र स्थापित किये जायेंगे।

उद्यानिकी

मुख्यमंत्री ने उद्यानिकी विभाग की 100 दिन की कार्य-योजना पर चर्चा के दौरान कहा कि उद्यानिकी के क्षेत्र में रोजगार निर्माण और किसानों की अतिरिक्त आय बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं। यह क्षेत्र गहन रूप से खाद्य प्र-संस्करण से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिये विशेषज्ञों की सेवाएँ लेने पर भी विचार किया जाना चाहिये। उन्होंने उद्यानिकी क्षेत्र के लिये सौ दिन की कार्य-योजना को और ज्यादा विस्तृत बनाने की जरूरत बताते हुए इसमें सुधार करने के निर्देश दिये।

इसी प्रकार ग्रामोद्योग विभाग की 100 दिन की कार्य-योजना की समीक्षा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि पारंपरिक रूप से कार्य करने की सोच को छोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केवल रेशम पालन तक सीमित न रहते हुए विभिन्न प्रकार के छोटे उद्योगों को बढ़ावा दें। इनमें लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है। कुटीर उद्योगों का जाल बिछाने के लिये ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। लघु उद्यमियों को इस क्षेत्र से जोड़ने के लिये भी विशेष प्रयास करना होगा। विशेषज्ञों की सेवाएँ भी ली जा सकती हैं।

मत्स्य-पालन विभाग की सौ दिन की कार्य-योजना पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मछुआरों को प्रशिक्षण देकर विभिन्न योजनाओं में बन रहे तालाबों का अधिकतम उपयोग मत्स्य-पालन के लिये करने की रणनीति बनायें। उन्हें बताया गया कि सौ दिन में एक लाख 45 हजार मीट्रिक टन मत्स्य-उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है।

हेंड पंप सुधारने 15 जनवरी से अभियान

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की 100 दिन की कार्य-योजना में बताया गया कि खराब हेंडपम्प को सुधारने के लिये15 जनवरी से एक महीने का विशेष अभियान चलाया जायेगा। मोबाइल पर एसएमएस आधारित शिकायत निराकरण के लिये एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जायेगा। ई-मेजरमेंट पायलट  परियोजना भी शुरू की जायेगी। एक हजार से ज्यादा जनसंख्या की बस्तियों में नल-जल योजना प्रारंभ की जायेगी। इनमें से 300 बसाहट में नल-जल प्रदाय योजनाएँ अगले 100 दिनों में स्थापित की जायेंगी। बीस हजार जनपद पंचायत स्तरीय पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। बैठक में मत्स्य-पालन और उद्यानिकी मंत्री सुश्री कुसुम महदेले, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पी.के. दाश, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।