एक गांव ऐसा जिसे बेरोजगारी से मुक्त गांव का मिला हुआ है सर्टिफिकेट…

भोपाल.. कहते है भारत देश गाँवो में बसता है..और सरकार भी गाँवो के विकास को प्रमुखता से लेते हुए कई तरह के हितग्राही मुलक योजनाओ का संचालन करती है..बावजूद इन सब के वे तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं सरकारी ढर्रे पर चलती है..और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओ का पर्याप्त लाभ नही मिल पाता ..और ग्रामीण बेरोजगारी, भुखमरी जैसी समस्याओं से ग्रसित हो जाते है..तब उनके पास काम की तलाश में बड़ी शहरों में कुच करने के अलावा कोई चारा नही बचता..इन सब के बीच अजब -गजब कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के मंडला जिले से अच्छी खबर निकल कर आ रही है..जहाँ कोई बेरोजगार ही नही है..सबको सरकार की महती योजनाओ का लाभ मिल रहा है..
बता दे की मध्यप्रदेश के मंडला जिले में एक ऐसा गांव है..जिसे बेरोजगारी मुक्त गांव का प्रमाण पत्र मिला हुआ है..और वह गांव है भैसादाह..जहाँ कोई भी गरीब नही है और बेरोजगार भी नही..गांव में लगभग 90 परिवार निवासरत है..तथा गांव की कुल आबादी 280 के लगभग है..खेती किसानी पर निर्भर रहने वाले ग्रामीणों ने खुद को गरीबी से मुक्त करने उन्नत कृषि करने का रास्ता खोज निकाला..जिससे गांव के प्रत्येक परिवार की आय हर महीने 30 से 40 हजार के लगभग होती है..गांव में ग्रामीणों की आर्थिक मजबूती की नींव सरकार की विकास कारी योजनाओ पर आधारित योजनाएं माध्यम बनी फिर नतीजा सब के सामने है..

  • यह कोई जादुई करिश्मा नही था..
    ग्रामीणों की गरीबी की रेखा को उन्नत सब्जी की खेती ने लांघी और फिर ग्रामीणों की किश्मत बदलते देर नही लगी..इस ग्रामीण अंचल के युवा कम शिक्षित है और उन्हें मजदूरी करने के बाद पर्याप्त मजदूरी नही मिलती थी..
  • एनआर एलएम ने बदल दी तस्वीर..
    ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन इन गरीब युवाओं का सहारा बनी जिसके बाद ग्रामीण युवा बेरोजगारी की जंजीर से मुक्त स्वयं के रोजगार से जुड़कर उन्नत सब्जियों की खेती करने लगे..और देखते ही देखते एक के बाद एक ग्रामीण परिवार इस व्यवसाय से जुड़ने लगा..जिससे ग्रामीणों को आमदनी के साथ आर्थिक मज़बूती मिली.. और इन सब कार्यो में गांव की महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया..