गर्मी की छुट्टियों में घूमने की है प्लानिंग, तो सूरजपुर की ये जगह है खास; यहां पत्थरों के बीच से बहती है नदी

सूरजपुर। छत्तीसगढ़ में सर्दी का मौसम समाप्त हो गया है। अप्रैल महीने से बच्चों के स्कूल भी बंद हो जाएंगे। ऐसे में हर पेरेंट्स, परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टी पर सैर सपाटा करना चाहता है, लेकिन कहां घूमने जाएं? इसके लिए हर कोई प्लानिंग करता हैं। तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां की अपने आप में अलग पहचान है। एकदम प्रकृति के बीच, हरे भरे पेड़, पहाड़ और नदियों के बीच अपनों के संग समय बिताने का अलग अंदाज है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में पत्थरों का विशाल समूह फैला हुआ है, और इस पत्थर के बीच से नदी का पानी बहता है। जिसकी कल-कल आवाज अत्यंत मनमोहक सुनाई देती है। इसके साथ ही नदी का छोटा स्वरूप देखने को मिलता है।

दरअसल, सूरजपुर जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर प्रेमनगर ब्लॉक में सारसताल नाम का एक गांव बसा है। इस गांव में एक ऐसी जगह है जिसे भांडीराज के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर पत्थरों का विशाल समूह है। जिनकी गिनती किया जाए तो हजार से कम नहीं होगा, इन पत्थरों के बीच से हसदेव नदी बहती है। इस जगह की खासियत ये है कि, पत्थरों के बीच-बीच कई प्लेन जगहें हैं, जहां लोग पिकनिक मनाने आते है। यहीं नहीं पत्थरों के बीच-बीच में हरे भरे काफी संख्या में पेड़ भी है, जो वहां घूमने जाने वाले लोगों को छाया प्रदान करते है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पूरा होने की वजह से ये जगह लोगों में काफी लोकप्रिय है।

सूरजपुर के इस खूबसूरत जगह को प्रसिद्ध होने की एक और वजह है। दरअसल, इस पिकनिक स्पॉट के करीब में ही दो जिलों का बॉर्डर है। दक्षिण दिशा की ओर कोरबा, और पश्चिम की ओर कोरिया जिले का बॉर्डर है। ढलती शाम के वक्त इस जगह की खूबसूरती और बढ़ जाती है। सूर्य की हल्की किरणे और नदी की आवाज मन को प्रफुल्लित कर देती है।

जनवरी, फरवरी में होती है भीड़

इस जगह पर नए साल के मौके पर, जनवरी-फरवरी के महीनों में काफ़ी भीड़ रहती है। लोग नया साल सेलिब्रेट करने इस जगह पर पहुंचते है। इस समय प्रकृति सौंदर्य भी पूरे शबाब पर रहता है। चारों तरह हरे भरे पेड़ पौधे, पहाड़, और हल्की धूम लोगों के मन को प्रसन्न करती है। इस जगह को लोग इसलिए ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि यहां पत्थरों के बीच-बीच से नदी का पानी बहता है। बड़ी नहीं अलग-अलग पत्थरों के बीच से बहकर छोटी हो जाती है, और नहीं के बीच में पिकनिक मनाना को आनंदित करता है।

कैसे पहुंचें

ये जगह अम्बिकापुर से 90 किलोमीटर, जबकि सूरजपुर जिला मुख्यालय 70 किलोमीटर दूरी पर है। यहां जाने के लिए बस, कार, बाइक का उपयोग किया जा सकता है। रेल्वे या हवाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। यहां पहुंचने के बाद छांव के साथ पार्किंग के लिए भी पर्याप्त जगह हैं।

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