टीम इंडिया के लिए ‘करो या मरो’ का मुकाबला

नई दिल्ली

पांच मैचों की सीरीज में भारत 0-2 से पीछे है। पर्थ और ब्रिस्बेन की पिचों पर भारतीय गेंदबाज जूझते नजर आए। लगातार दो बार 300 के स्कोर के बावजूद टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में जीत का खाता नहीं खोल पाई है। मेलबर्न की पिच का मिजाज अलग माना जाता है। टीम इंडिया के सीरीज में बने रहने के लिए मेलबर्न में हर हाल में जीत जरूरी है। मगर जीत की सूरत फिलहाल आसान नहीं नजर आती। रोहित के लगातार दो शतक और टीम इंडिया का स्कोर दो बार लगातार 300 के पार। फिर भी दोनों ही बार मेजबान टीम के लिए लक्ष्य छोटा साबित हुआ। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मानते हैं कि शायद स्कोरबोर्ड पर और 30-40 रनों की जरूरत है। यानी टीम इंडिया को अपनी कमियों पर ध्यान देने के अलावा अपनी बल्लेबाजी को भी दुरुस्त करने की जरूरत होगी।

कप्तान एमएस धोनी मानने लगे हैं कि 300 का स्कोर काफी नहीं है। वो कहते हैं, “सिर्फ रन बनाने से आप मैच नहीं जीत सकते या सिर्फ 280 रन बनाकर यह नहीं सोचना चाहिए कि बॉलर्स मैच में जीत दिला देंगे। दोनों तरफ हमें थोड़ा-थोड़ा और बेहतर करने की जरूरत होगी। बैक टू बैक 300 का स्कोर करना काफी मुश्किल है, कहीं भी। लेकिन हमने ऑस्ट्रेलिया में ऐसा किया है। मुझे लगता है कि बल्लेबाजों को थोड़ा और प्रेशर लेना होगा। शायद हमें 300 की जगह 330-340 को टारगेट बनाकर खेलना होगा।”
टीम इंडिया की गेंदबाजी और फील्डिंग को लेकर धोनी के अलावा दूसरे जानकार भी फिक्र जता चुके हैं। ब्रिस्बेन में भारत ने 11 वाइड और एक नो बाल के साथ कुल 19 एक्सट्रा रन खर्च किए।

कप्तान माही कहते हैं, “जो हमारे क्विक बॉलर्स हैं उनको भी वहां बहुत ज्यादा बाउंस नहीं मिलता है। ईशांत एक ऐसे बॉलर हैं जिन्हें थोड़ा बाउंस मिलता है। हम बाहर जाते हैं तो गेंदबाजों को थोड़ा सावधान रहना होगा। बाहर थोड़ा और टाइट लाइन लेंथ में गेंदबाजी करनी पड़ती है। थोड़ी गलती हो रही है लाइन में गेंद डालने में, जिसकी वजह से काफी गेंदें वाइड जा रही हैं। यही नहीं कई गेंदें विकेटकीपर और फाइन लेग फील्डर के बीच से बाउंड्री पार चली गई हैं। इससे विपक्षी बल्लेबाजों से काफी हद तक दबाव खत्म हो जाता है। भारत के पूर्व विकेटकीपर सैयद किरमानी कहते हैं, “फील्डिंग और बॉलिंग डिपार्टमेंट में हमारी कमजोरी नजर आती है। हमारे तेज गेंदबाज और स्पिनर्स को भी खासतौर से शुरुआत में लाइन-लेंथ पर ध्यान देने की जरूरत है। फील्डिंग पर खास ध्यान देने की जरूरत है। हमने तीन-चार कैच ड्रॉप कर दिए, अगर वो ले लिए जाते तो भारत दूसरा मैच जीत सकता था।”

फिक्र सिर्फ शिखर धवन की बल्लेबाजी को लेकर ही नहीं है, बल्कि पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कप्तान धोनी के फॉर्म को लेकर भी इशारा किया है। मुमकिन है मेलबर्न की पिच भारतीय स्पिनरों की ज्यादा मदद करे और टीम इंडिया पहले से बेहतर अंदाज में पेश आए