सरकारी और निजी क्षेत्रों में बढ़ी अर्थक्वेक इंजीनियर्स की मांग

देश-दुनिया में भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। भारत के कई शहर सीस्मिक जोन 5 व 4 में हैं। पुरानी बसाहट के चलते वहां भूकंप की स्थिति में जान-माल के नुकसान का खतरा ज्यादा है। रेट्रोफिटिंग के जरिये इन शहरों को भूकंपरोधी बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। नए भवनों में भूकंप के झटके झेलने के लिए अर्थक्वेक रेजिस्टेंस तकनीक अपनाने पर बल दिया जा रहा है। यही कारण है कि देश में अर्थक्वेक इंजीनियर्स, सीस्मोलॉजिस्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है।
जॉब का स्कोप
देश में करीब 59 प्रतिशत भू-भाग पर भूकंपीय खतरे की आशंका है। एक आंकड़े के अनुसार, देश में करीब 84 प्रतिशत मकान ईंट-पत्थर के बने हैं, जिनकी नींव को फिर से मजबूत करने की जरूरत है। तमाम पुरातात्विक महत्व की इमारतों और बहुमंजिला भवनों को री-डिजाइन करने पर जोर दिया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अनुमान के अनुसार, विश्व की करीब 71 खरब डॉलर की संपत्ति पर भूकंप का खतरा बना हुआ है। ऐसे में इस फील्ड में प्रशिक्षित लोगों के लिए जॉब की काफी संभावनाएं हैं। निर्माण क्षेत्र में भी ऐसे लोगों की बहुत मांग है।
वर्क प्रोफाइल
दुनिया भर में बढ़ रहे भूकंप के खतरों से अर्थक्वेक इंजीनियर, सीस्मोलॉजिस्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट में कुशल लोग ही निपट सकते हैं, क्योंकि ऐसे प्रोफेशनल्स को स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, अर्थक्वेक रेजिस्टेंस टेक्निक और डैमेज कंट्रोल की अच्छी समझ होती है। अर्थक्वेक इंजीनियर मुख्य रूप से दो तरह के काम करते हैं। पहला, बिल्डिंग स्ट्रक्चर पर भूकंप के असर का आकलन करना और दूसरा, ऐसा स्ट्रक्चर डिजाइन करना, जो अर्थक्वेक प्रूफ हो। कई बार ऐसे प्रोफेशनल्स सीस्मोलॉजिस्ट के साथ मिलकर भूकंप का फ्रीक्वेंसी असेसमेंट और एनालिसिस भी करते हैं। मॉडल्स की टेस्टिंग का काम इन्हीं के जिम्मे होता है।
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पर्सनल स्किल
अर्थक्वेक इंजीनियर या सीस्मोलॉजिस्ट बनने के लिए युवाओं में कुछ बेसिक स्किल होना बहुत जरूरी है। मसलन, उन्हें अच्छी स्ट्रक्चरल नॉलेज हो। साथ में वे रेजिस्टेंस टेक्निक, भूगर्भीय विज्ञान, जियोटेक्टिकल और
प्लेट्स की जानकारी भी रखते हों। रेट्रोफिटिंग, रिपेयरिंग और नवीनतम तकनीकों से भी अपडेट रहना जरूरी है।
ऐसे प्रोफेशनल्स को बिल्डिंग कोड की भी जानकारी होनी चाहिए।
जॉब के अवसर
इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स की मांग पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है। लोक निर्माण विभाग, पुल निर्माण,
बहुमंजिला भवन निर्माण और मेट्रो कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में भूकंपरोधी तकनीक की गहरी समझ रखने वाले प्रोफे- शनल्स को हायरिंग में ज्यादा तरजीह मिल रही है। ऐसे में प्रोफेशनल्स की मांग सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में है। बतौर इंजीनियर उनके लिए रेलवे, लोक निर्माण विभाग, मेट्रो, एयरपोर्ट, भवन निर्माण, सिंचाई विभाग, सड़क निर्माण आदि जैसे क्षेत्रों में अच्छी संभावनाएं हैं। वे डिफेंस लैब, परमाणु ऊर्जा विभाग, अर्थक्वेक रिसर्च ऑर्गनाइजेशन में साइंटिस्ट या स्कॉलर के रूप में भी जॉब पा सकते हैं। इसके अलावा, वे किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में फैकल्टी मेंबर के तौर पर भी करियर बना सकते हैं।
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कौन-से कोर्स?
अर्थक्वेक इंजीनियरिंग एक स्पेशलाइज्ड फील्ड है। यह फील्ड सिविल इंजीनियरिंग का ही हिस्सा है। अर्थक्वेक इंजीनियरिंग की पढ़ाई का पूरा फोकस भूकंप के दुष्प्रभाव के इर्द-गिर्द ही होता है। वहीं सीस्मोलॉजी के अध्ययन का दायरा थोड़ा बड़ा है, जिसमें भूकंप के हर पहलू का अध्ययन किया जाता है।
क्वॉलिफिकेशन
देश में कई संस्थान अर्थक्वेक इंजीनियरिंग में पीजी और डिप्लोमा जैसे स्पेशलाइज्ड कोर्स ऑफर कर रहे हैं। कई विश्वविद्यालय जीयोफिजिक्स में पीजी डिग्री ऑफर कर रहे हैं। कई कोर्स कम्प्यूटेशनल सीस्मोलॉजी के रूप में भी चल रहे हैं। हालांकि इस तरह के एडवांस कोर्स आम तौर पर सिविल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर स्ट्रीम के विद्यार्थियों के लिए होते हैं, जिनमें स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग और अर्थक्वेक इंजीनियरिंग की एडवांस जानकारी दी जाती है।
सैलरी पैकेज
इस फील्ड में शुरूआती दौर में 20 से 25 हजार रुपए की मासिक सैलरी आसानी से मिल जाती है। अनुभव बढ़ने पर आप 1 लाख रुपए महीना भी पा सकते हैं।
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एक्सपर्ट व्यू
अर्थक्वेक इंजीनियरिंग को लेकर अब लोगों में जागरूकता बढ़ी है। सभी तरह के भवन निर्माण में अर्थक्वेक रजिस्टेंट तकनीक इस्तेमाल हो रही है। सरकार की ओर से भी भूकंपरोधी निर्माण को अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं, भूकंप के झटकों की फ्रीक्वेंसी बढ़ने के कारण अब लोग पुराने भवनों की रेट्रोफिटिंग कराने पर भी ज्यादा जोर दे रहे हैं। यही वजह है कि युवाओं के लिए यह फील्ड अच्छी संभावनाओं से भरी हुई है। पीडब्लयूडी, सिंचाई विभाग, पुल निर्माण, सड़क निर्माण, मेट्रो निर्माण आदि क्षेत्रों में इस फील्ड के जानकारों के लिए जॉब के खूब अवसर हैं।
प्रमुख संस्थान
  •  आईआईटी, दिल्ली
  •  जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
  •  आईआईटी, रुड़की
  •  बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
  •  गंगा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, दिल्ली
  •  उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद