रमन ने बदली छत्तीसगढ़ के खेल जगत की तस्वीर

देश के किसी भी राज्य में खेलों के विकास और खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देकर एक बेहतर खेल वातावरण के निर्माण में वहां के मुख्यमंत्री की क्या भूमिका हो सकती है, यह छत्ताीसगढ़ में यह शोधा का अच्छा विषय हो सकता है क्योंकि प्रदेश में खेलों की बागडोर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सम्भाली। हालांकि छत्ताीसगढ़ ओलंपिक संघ का अधयक्ष बनने से पूर्व भी उन्होंने इस क्षेत्र में कई अहम निर्णय लिए। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि ओलंपिक संघ में सक्रिय रूप से भूमिका निभाने के बाद प्रदेश में खेलों के वातावरण का नया सृजन हुआ। खेलों में उद्योगों की सहभागिता, 37वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी, खिलाड़ियों को शासकीय सेवा, क्रिकेट की अंतर्राष्ट्रीय स्पधर्ााएं, बुनियादी अधाोसंरचनाओं का विकास, राज्य खेल महोत्सव, स्पोट्र्स एकेडमी, खेल विश्वविद्यालय की दिशा में उठाए गए कदम छत्ताीसगढ़ को खेल राज्य बनाने की दिशा में अग्रसर हुए। डॉ. सिंह को 22 जुलाई 2010 को सर्वसम्मति से छत्ताीसगढ़ ओलंपिक संघ का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। राज्य खेल संघों के पदाधिकरियों ने उनसे छत्ताीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद का दायित्य ग्रहण करने का आग्रह किया। उन्होंने राज्य ओलंपिक संघ और प्रदेश स्क्वैश संघ के अधयक्ष पद की कमान सम्भाली। इसके बाद खेलों के विकास की दिशा में उठाए गए कदमों से खेल जगत को कई सौगातें मिलीं। कुछ प्रमुख बिंदुओं का यहां उल्लेख किया जा रहा है।

  •  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में 18 अगस्त 2010 को पहली बार छत्ताीसगढ़ ओलंपिक संघ की वार्षिक सामान्य सभा की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीतने पर छत्ताीसगढ़ के विजेताओं के लिए लाखों रुपए के नगद पुरस्कार की घोषणा की। स्वर्ण पदक पर आठ लाख रुपए, रजत पदक पर छह लाख रुपए और कांस्य पदक पर चार लाख रुपए के नगद पुरस्कार की घोषणा की गई। पदक जीतने के बाद खिलाड़ियों को नगद पुरस्कार से नवाजा गया।
  • मुख्यमंत्री खेल सुरक्षा निधि की स्थापना : 50 लाख रुपए की धन राशि से विशेष खेल निधि गठित की गई।

बहुप्रतीक्षित प्रदेश ओलंपिक संघ का कार्यालय राजधाानी रायपुर के इनडोर स्टेडियम में प्रारंभ किया गया। नई राजधानी क्षेत्र में ओलंपिक संघ के कार्यालय भवन के लिए पांच एकड़ जमीन चिन्हित की गई। इसमें प्रदेश के सभी राज्य खेल संघों के कार्यालय भी रहेंगे। राज्य खेल महोत्सव का आगाज  छत्ताीसगढ़ में राज्य स्थापना दिवस की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर राज्य में मिनी ओलंपिक का आयोजन करने की घोषणा की गई जिसे बाद में राज्य खेल महोत्सव का नाम दिया गया। प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित होने वाला यह महोत्सव अब तक दो बार वर्ष 2010 और वर्ष 2012 में संपन्न किया गया।untitled2खेल महोत्सव में प्रदेशभर के ग्रामीण और शहरी खिलाड़ियों सहित करीब 40 हजार खिलाड़ियों को विभिन्न खेलों मे्ं हिस्सा लेने का अवसर मिलता है। वर्ष 2010 में फेडरेशन कप बॉस्केटबाल टूर्नामेंट का भव्य आयोजन किया गया।  खेलों के विकास के लिए उद्योग जगत की सहभागिता को बढ़ावा मिला।छत्ताीसगढ़ के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को शासकीय सेवा का अवसर दिया गया। वर्ष 2012 तक घोषित कुल 116 उत्कृष्ट खिलाड़ियों में से सर्वाधिाक 73 खिलाड़ी शासकीय सेवा में हैं। स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के अवसर पर राजनांदगांव को खेल विश्वविद्यालय की सौगात दी गई। इसकी स्थापना से प्रदेश में शारीरिक शिक्षा का नया अधयाय शुरू होगा। स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी की स्थापना से न केवल राज्य के खेल जगत की तस्वीर बदलेगी बल्कि प्रदेश के युवाओं को स्पोट्र्स में कॅरियर के लिए दूसरे राज्यों की तरफ देखना नहीं पड़ेगा। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से स्पोर्ट्स मेडिसिन, खेल अर्थशास्त्र, खेल मनोविज्ञान, खेल पत्रकारिता, खेल पर्यटन, खेल उपकरणों के उत्पादन, स्पोर्ट्स मार्केटिंग एण्ड इण्डोर्समेंट, स्पोर्ट्स इवेन्ट मैनेजमेंट, स्पोर्ट्स फेसिलिटी क्रियेशन, टेलीविजन कवरेज, स्पोर्ट्स कल्चर, फिटनेस, स्पोर्ट्स कोचिंग जैसे विविध विषयों के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तार डिग्री पाठयक्रम के साथ ही खेलों पर अधययन और शोधा के रास्ते खुलेंगे। छत्ताीसगढ़ को आईपीएल के छठे संस्करण्ा के दो मैचों की मेजबानी का अवसर सुलभ हुआ। इससे प्रदेश का नाम क्रिकेट की दुनिया में लोकप्रिय हुआ और इस खेल की कई बुनियादी जरूरतें पूरी हुईं। स्क्वैश, हॉकी, आरचरी एकेडमी, राजनांदगांव, रायपुर में एस्ट्रो टर्फ, टेनिस कोर्ट, राज्य के नए जिलों में भी खेल की बुनियादी सुविधााओं के विकास की दिशा में कदम उठाए गए। खेल नगरी राजनांदगांव को खेल परिसर की भी सौगात दी मिली। यह 22 करोड़ 71 लाख रुपए की लागत से निर्मित किया जाएगा। नया रायपुर में खेलगांव के लिए 200 एकड़ जमीन के अलावा नया रायपुर परियोजना क्षेत्र में भारतीय खेल प्राधिाकरण के क्षेत्रीय कार्यालय के लिए 50 एकड़ जमीन साई को आबंटित की गई। साई के क्षेत्रीय कार्यालय से प्रदेश की प्रतिभाओं को अंतर्राष्ट्रीय खेल क्षितिज में उभरने का अवसर मिलेगा और खेल की अधाोसंरचनाओं का भी विकास होगा। राजनांदगांव में स्पेशल एरिया गेम्स के विशेष केंद्र की स्थापना के लिए भी साई को 15 एकड़ जमीन प्रदान की गई।

वर्ष 2004-05 में  खेल पुरस्कार नियमों का प्रकाशन हुआ और पुरस्कार देना प्रारंभ किया गया। पहली बार राज्य के  पुरस्कर नियमों का प्रकाशन राजपत्र में 4 जून 2004 को किया गया। इसी वर्ष पहली बार तीरंदाजी के क्षेत्र में राज्य स्तर का पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया एवं महाराजा प्रवीर भंजदेव पुरस्कार की घोषणा की गई। 1 नवंबर 2004 को राज्योत्सव के मौके पर इस पुरस्कार की शुरुआत की गई। 29 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर दो करोड़ रुपए, रजत पदक जीतने पर डेढ़ करोड़ रुपए और कांस्य पदक जीतने पर एक करोड़ रुपए नगद पुरस्कार देने की घोषणा की।

इसी कड़ी में वर्ष  2005-06 में राज्य में प्रोत्साहन नियम बनाए गए जो 29 अप्रैल 2005 को राजपत्र में प्रकाशित हुआ। प्रोत्साहन नियमों में राष्ट्रीय पदक विजेताओं को नगद राशि अलंकरण, खेल संघों को प्रेरणा निधि, खिलाडियों को ट्रेक सूट, खिलाड़ियों को जोखिम बीमा, शारीरिक शिक्षा में साहित्य सृजन एवं शोध कार्य के लिए प्रोत्साहन और खेलवृत्तिा का प्रावधान शामिल किया गया। विकासखंड स्तर से ग्रामीण खेल प्रतियोगिता, महिला खेल प्रतियोगिता, अंर्तशालेय फुटबाल प्रतियोगिता, मैराथन, बालिकाओं के लिए मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। वर्ष 2006-07 में आसाम के 33वें राष्ट्रीय खेलों के लिए खिलाड़ियों का जोखिम बीमा कराया गया और खिलाड़ियों को पहली बार ट्रेक सूट प्रदान किया गया। छत्ताीसगढ़ ने आसाम के राष्ट्रीय खेलों में छह पदक हासिल किए। पहला स्वर्ण पदक नेटबाल की टीम ने दिलाया। हैंडबाल, बास्केटबाल, शूंटिग, जूडो और वेटलिफ्टिंग में छत्ताीसगढ़ ने पदक हासिल किया। वर्ष 2007-08 में अनुदान नियमों में संशोधन किया गया जिसका राजपत्र में 11 जनवरी 2008 को प्रकाशन हुआ। अनुदान की शर्तें शिथिल की गईं। राज्य स्पर्धा के लिए अनुदान की राशि क्रमश: 50 हजार, 40 हजार और 30 हजार रुपए की गई। अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में हिस्सा लेने के पूर्व प्रशिक्षण शिविर के लिए आर्थिक सहायता देने के नए प्रावधान किए गए। मान्यता की अवधि एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष की गई। पुरस्कार नियमों में संशोधन किए गए। वीर हनुमान सिंह पुरस्कार मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के बाद प्रशिक्षकों व निर्णायकों के लिए अलग-अलग देने का प्रावधान बनाया गया। दलीय खेल में दल के सभी खिलाड़ियों को पुरस्कार देने का प्रावधान बनाया गया।अउत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने की नीति बनाई गई और नीति का राजपत्र में प्रकाशन हुआ। वर्ष 2008-09  में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का भव्य शुभारंभ हुआ। देश के ख्याति प्राप्त क्रिकेट के सितारों ने छत्ताीसगढ़ में अपनी चमक दिखाई।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में वर्ष 2009-10 में राज्य में उत्कृष्ट खिलाड़ी योजना का क्रियान्वयन किया गया। खेल प्रतिभा खोज अभियान और पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल अभियान योजना (पायका) की शुरुआत हुई। वर्ष 2010-11 मेंछत्ताीसगढ़ को 37वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की विधिवत मेजबानी मिली। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्ताीसगढ़ ओलंपिक संघ की कमान संभाली और राज्य की झोली सौगातों से भर दी। छत्ताीसगढ़ के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को शासकीय सेवा का अवसर मिलने लगा।  छत्ताीसगढ़ में क्वींस बैटन रिले का ऐतिहासिक आयोजन किया गया। राज्य निर्माण की दसवीं वर्षगांठ के मौके पर पहली बार राज्य खेल महोत्सव का शुभारंभ हुआ।  हर दो वर्ष में एक बार यह आयोजन करने का निर्णय लिया गया। हर साल की तरह इस साल भी छत्ताीसगढ़ को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल हुए। रायपुर व राजनांदगांव साई हास्टल की नींव रखी गई और राजधाानी को इनडोर स्टेडियम की सौगात मिली।

वर्ष 2011-12 में छत्तीसगढ़ में खेल की बुनियादी अधोसंरचनाओं का विकास हुआ। कई खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर राज्य को पदक हासिल हुए। इनमें सबजूयिर, जूनियर, सीनियर और स्कूल नेशनल गेम्स के पदक शामिल थे। राज्य में रायपुर व राजनांदगांव में हॉकी के एस्ट्रो टर्फ की दिशा में कदम बढ़ाए गए।  वर्ष 2012-13 में द्वितीय राज्य खेल महोत्सव का रंगारंग शुभारंभ किया गया। यह महोत्सव विकासखं़ड से लेकर जिला व राज्य स्तर पर आयोजित किया गया। छह करोड़ रुपए की लागत वाला यह राज्य स्तर पर अब तक का सबसे बड़ा खेल आयोजन था। छत्तीसगढ़ में हॉकी व आरचरी एकेडमी के अलावा राजनांदगांव खेल विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2013-14 में आईपीएल के छठे संस्करण के दो मैच 28 अप्रैल व 1 मई को आयोजित किए गए। इस ऐतिहासिक आयोजन के बाद छत्तीसगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और राज्य दोनों की विश्व में नई पहचान बनी। खेल विभाग स्वतंत्र विभाग के रूप में अस्तित्व में आया।(आलेख- कमलेश गोगिया ,खेल पत्रकार ,रायपुर)