सरगुज़ा में मिली उड़ने वाली अद्भुत गिलहरी… वन विभाग ने किया रेस्क्यू.. देखिए तस्वीरें

अम्बिकापुर. सरगुजा जिले के जंगल मे एक उडने वाली गिलहरी मिली है. जिले के लखनपुर ब्लाक के तराजू गांव मे मिली ये अद्भुत गिलहरी घायलावस्था मे हैं. जिसको इलाज और सुरक्षित रखने के लिए जिला मुख्यालय अम्बिकापुर के संजय पार्क लाया गया है.

सरगुजा जिले के तराजू गांव मे उडने वाली गिलहरी मिली है. घायलावस्था मे मिली इस गिलहरी के दोनो पैर मे चोट लगी है. जिसको जिले के लखनपुर वन परिक्षेत्र के वनकर्मियों ने रेस्क्यू किया है. और इलाज के लिए अम्बिकापुर वन विभाग के द्वारा संचालित संजय पार्क मे भेज दिया है. वही अम्बिकापुर रेंज आफिसर के मुताबिक इसका बेहतर इलाज कराया जा रहा है और उन्होंने ये भी बताया कि ऐसी उडने वाली गिलहरी आमतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के घने जंगल मे पाई जाती है.

“लखनपुर वन परिक्षेत्र से एक घायल उड़न गिलहरी मिली है। जो घायलावस्था में है। पशु चिकित्सक से उपचार कराया जा रहा है। आशा है कि जल्द ही स्वस्थ्य हो जाएगी।”

गजेन्द्र दोहरे, प्रभारी रेंजर, अम्बिकापुर

अम्बिकापुर के संजय पार्क मे लाने के बाद उडने वाली घायल गिलहरी का इलाज जारी है. इधर पशु चिकित्सक डाक्टर सी के मिश्रा के मुताबिक जो गिलहरी जिले के तराजू गांव से रेस्क्यू की गई है. वो गिलहरी की पाए जाने वाली 50 प्रजाति मे एक है. और घायलावस्था मे जो उडने वाली गिलहरी मिली है उसकी उम्र 2-3 साल है. जबकि ऐसी गिलहरी की अधीकतम उम्र 8 वर्ष होती है.

“ये गिलहरी की प्रजाति है। गिलहरी की 50 से अधिक प्रजाति पायी जाती है। ये उनमें से एक है। इसको उड़ने वाली गिलहरी कहते है। ये जंगलों में पायी जाती है और शाकाहारी होती है। ये जंगलों में जो फल पाए जाते हैं उसको खाती है। इसकी उम्र लगभग 6 से 8 साल होती है। उड़ने वाली गिलहरी दुर्लभ होती है, जो सरगुजा के बीहड़ जंगल है, उसमे पायी जाती है।”

– डॉ० सी०के० मिश्रा, वरिष्ठ पशु चिकित्सक

जानकारी के मुताबिक घने जंगलों मे रहने वाली ऐसी गिलहरी पहली बार जिले के जंगल मे मिली है. जिससे वन विभाग के अधिकारियों ने खुशी भी जाहिर की है. बहरहाल उडने वाली आकर्षक गिलहरी फिलहाल घायल है. जिसका इलाज वन विभाग के अधिकारियों और पशु चिकित्सकों की निगरानी मे जारी है.