दर्जनों आदिवासी परिवार की गुहार.. जान ले लो पर मत छीनों हमारे जीवन का आधार .. समय रहते नहीं जागे जिम्मेदार तो बेघर हो जाएंगे इतने परिवार ?

कोरिया|कुलदीप तिवारी

कोरिया। जिले के भरतपुर तहसील के ग्राम परेवाडोल के 14 आदिवासी परिवारों पर अचानक वन विभाग के एक आदेश बाद संकट के बादल मडराने लगे हैं। दरअसल ये आदिवासी परिवार साल 2002 के पहले से यहाँ क़ाबिज़ हैं। ये लोग उस ज़मीन पर कड़ी मेहनत कर खेत बनाए और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है। इस ज़मीन को वन विभाग ने बतौर जुर्माना काटा जो प्रमाणित करता है की वन भूमि का कब्जा साल 2002 के पहले का है।

लेकिन वन विभाग के द्वारा बिना कोई नोटिस या जानकारी दिए कब्जे वाली भूमि में पौधरोपण के लिए गड्ढा खोदा जा रहा है। अब ग्रामीणों के द्वारा गड्ढा खोदने के कार्य को रोकने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन काम बंद नहीं करा सके। यदि वन विभाग के द्वारा उस भूमि में पौधरोपण कर दिया जाता है तो 14 आदिवासी परिवार पूरी तरह से भूमिहीन हो जाएँगे और उनके जीवन में एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।

आज ग्राम परेवाडोल के पूरे 14 आदिवासी परिवार जिला पंचायत सदस्य रविशंकर सिंह को साथ लेकर जनकपुर तहसील कार्यालय पहुँचे और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर समस्या का निराकरण करने की माँग की। जिला पंचायत सदस्य रविशंकर ने कहा की 13 दिसंबर 2005 को वन अधिकार कानून बनाया गया है जिसके अनुसार यदि कोई आदिवासी परिवार 13 दिसंबर 2005 के पहले किसी राजस्व भूमि या वन भूमि पर कब्जा किया है तो उसे उस भूमि का वन अधिकार पत्र मिलना चाहिए।

क्षेत्र में संचालित एकता परिषद के अध्यक्ष राजेंद्र चंदेल ने कहा कि यहाँ पूरी तरह से आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। ये 14 आदिवासी परिवार वर्षों से वहां काबिज है उनको इस तरह से वहां से नहीं हटाया जा सकता। यदि उन्हें वहां से हटाया जाता है तो हम उग्र आंदोलन कर उनको न्याय दिलाएंगे। इसी समस्या को लेकर ग्रामीण जन आज चंगभखार जन सेवा समिति के पास भी पहुँचे। चांगभखार जन सेवा समिति ने पूरी समस्या सुनकर ज़िम्मेदार अफ़सरों तक इस मामले को पहुँचाने का आश्वासन दिया।

रविशंकर और राजेंद्र चंदेल की अगुवाई में तहसीलदार मनमोहन सिंह को ज्ञापन सौंपा समस्या के निराकरण की माँग की। उधर तहसीलदार मनमोहन सिंह ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पूरा आश्वासन दिया है कि आदिवासी परिवारों के साथ न्याय होगा।