सरगुजा: वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के अवसर पर हसदेव अरण्य के आदिवासियों ने जल, जंगल और ज़मीन को बचाने का संकल्प लिया!



अम्बिकापुर/उदयपुर/क्रांति रावत: हसदेव अरण्य को बचाने ग्राम हरिहरपुर में चल रहे अनिश्चितक़ालीन धरना प्रदर्शन के 114वें दिन ग्रामीणों ने धरना स्थल पर वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस मनाया गया। गोंडवाना चौक में एकत्रित हो कर ग्रामिणो ने दीप प्रज्वलित कर रानी दुर्गावती के बलिदान को याद किया।

इस अवसर पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मनबोध सिंह मरकाम ने कहा कि भारतीय इतिहास की वीर महिलाओं में गिनी जाने वाली रानी दुर्गावती एक वीर, निडर और बहुत ही साहसी युद्ध थी। रानी दुर्गावती ने अपने अंतिम सांस तक मुगलों के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी है।
बालसाय कोर्राम ने कहा कि रानी दुर्गावती ने अपने राज्य को पहाड़ियों, जंगलों और नालों के बीच स्थित कर इसे एक सुरक्षित जगह बना ली। आज इसी जल जंगल ज़मीन पर हम पीढ़ियों से निस्तार कर स्वतंत्र रूप से अपना जीवन यापन कर रहे है। आज इसी जंगल पर उद्योगपतियों की नज़र गड़ी हुई है हमारे बहुमूल्य वन संसाधनो को लूटा जा रहा है और हमारे जंगल को उजाड़ कर विकास की कहानिया गढ़ी जा रही है और लगातार हम आदिवासियों का विस्थापन किया जा रहा है। इस व्यवस्था के ख़िलाफ़ हम आज रानी दुर्गावती के संघर्ष को आदर्श मान कर हसदेव को बचाने की लड़ाई लड़ रहे है।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के रामलाल करियाम ने कहा कि जैसे रानी दुर्गावती ने अंग्रेजो के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी उसी प्रकार हम भी अपने जल, जंगल, ज़मीन को बचाने की लड़ाई लड़ेंगे। हसदेव के आंदोलन में बैठी मात्रशक्तियों ने आज रानी दुर्गावती के पराक्रम को याद कर हसदेव को बचाने का संकल्प लिया।

गौरतलब है कि कोल खदान के प्रभावित ग्राम के सैकड़ों ग्रामीण विगत 02 मार्च 2022 से ग्राम हरिहरपुर में टेंट पंडाल लगाकर धरना प्रदर्शन में लगातार बैठे हुए हैं। स्थानीय लोगों सहित प्रदेश व देश भर से पर्यावरण प्रेमी व विभिन्न राजनीतिक दलों के राजनेताओं ने ग्राम हरिहरपुर पहुंच कर आंदोलन को समर्थन भी दिया है। लगातार विरोध के परिणाम स्वरूप शासन द्वारा वर्तमान में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई है। इन सबके बावजूद अपने जल जंगल जमीन को बचाने लोग अपना धरना प्रदर्शन जंगलों में ही जारी रखे हुये है।