मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किया ‘मैं सुभाष बोल रहा हूं’ का विमोचन

 

रायपुर, एक फरवरी 2014

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन का समग्र आंकलन बाकी : डॉ. रमन सिंह

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि देश से जाने के बाद महान क्रांतिकारी और आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रेरणादायक जीवन का सम्पूर्ण आंकलन अभी बाकी है। वर्तमान और भावी पीढ़ी को उनके प्रेरक और ओजस्वी व्यक्तित्व की जानकारी देने के लिए यह आंकलन बहुत जरूरी है।

मुख्यमंत्री यहां अपने निवास कार्यालय के जनदर्शन सभाकक्ष में बंगाला भाषा के साहित्यकार श्री शैलेष दे की पुस्तक  ‘आमी सुभाष बोलछी’ के हिन्दी अनुवाद ‘मैं सुभाष बोल रहा हूं’ का विमोचन करने के बाद प्रबुद्ध नागरिकों को सम्बोधित कर रहे थे। पुस्तक का हिन्दी अनुवाद जगदलपुर (बस्तर) निवासी श्रीमती मणिकुंतला बोस ने किया है। मुख्यमंत्री ने हिन्दी अनुवाद के प्रकाशन पर श्रीमती बोस को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने लगभग तीन सौ पृष्ठों की इस पुस्तक को देश के हिन्दी क्षेत्र के लोगों और विशेष रूप से नई पीढ़ी के लिए अत्यंत प्रेरणादायक बताया। डॉ. रमन सिंह ने श्रीमती मणिकुंतला बोस से आग्रह किया कि वे देश के अन्य महान क्रांतिकारियों के बारे में भी जरूर लिखें। डॉ. सिंह ने कहा कि अब हमें हिन्दी में भी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के महान संघर्षों की प्रेरणादायक जानकारी मिल सकेगी। मुख्यमंत्री ने बीती रात आयोजित विमोचन समारोह में कहा कि श्री सुभाष चन्द्र बोस के संकल्प, संघर्ष और उनके ओजस्वी व्यक्तित्व  पर आधारित यह एक ऐसी किताब है, जिसे देश के हर नागरिक को पढ़ना चाहिए। डॉ. सिंह ने कहा कि देश ने श्री सुभाष चन्द्र बोस का आंकलन उनके जाने के बाद किया, लेकिन आज भी उनका पूरा आंकलन नहीं हो पाया है। उनके महान जीवन संघर्ष के सम्पूर्ण आंकलन की जरूरत है।

डॉ. रमन सिंह ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को युवाओं का प्रेरणास्त्रोत बताते हुए कहा कि उनका प्रसिद्ध वाक्य ‘तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ वास्तव में देशवासियों से और खास तौर पर युवाओं से उनका आव्हान था कि वे भारत की आजादी के आंदोलन में उनके साथ जुड़ें। आजाद हिन्द फौज का गठन नेताजी के जीवन की एक महान उपलब्धि थी। विदेशी गुलामी के ऐसे कठिन समय में जब देश की आजादी के संघर्ष के लिए खड़े होने वाले व्यक्ति को एक सहायक भी नहीं मिल पाता था, जहां अंग्रेजों के बारे में यह कहा जाता था कि ब्रिटिश हुकूमत का सूर्यास्त कभी नहीं होता, ऐसी शक्तिशाली सरकार को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अपने बुद्धि कौशल के जरिए चुनौती दी। विमोचन के संक्षिप्त और सादगीपूर्ण समारोह को प्रदेश के स्कूल शिक्षा, आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप ने भी सम्बोधित किया। श्री कश्यप ने भी पुस्तक के प्रकाशन पर अनुवादक श्रीमती बोस को बधाई दी। इस अवसर पर श्री तुषार कांति बोस और श्री विश्व रूप बोस ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप का आत्मीय स्वागत किया। श्रीमती मणिकुंतला बोस ने स्वागत उदबोधन में पुस्तक की विषय वस्तु की जानकारी दी।