छत्तीसगढ सरकार के लिए गले की हड्डी साबित हो रहा है शराब बंदी का संकल्प


रायपुर . प्रदेश की नई सरकार द्वारा चुनाव पूर्व की गई घोषणाओ मे एक शराबबंदी की घोषणा अब गले की हड्डी साबित होती जा रही है. छत्तीसगढ मे कांग्रेस सरकार के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेता तो शराबबंदी समेत कई घोषणाओ के मामले मे सरकार को घेर ही रहें है तो वही प्रदेश के दूसरा विपक्षी दल भी शराबबंदी को लेकर भूपेश सरकार को पब्लिक के कटघरे मे खडा करने का पूरा प्रयास कर रहा है. दरअसल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ के नेता एंव मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने राज्य शासन के शराबबंदी पूर्व समितियो के गठन को विचित्र एवं औचित्यहीन बताया है .

रिजवी ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए प्रदेश सरकार कांग्रेस पर निशाना साधा है और कहा कि है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी संकल्प पत्र में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा प्रमुखता से की थी. लेकिन शराबबंदी के लिए सरकार द्वारा उक्त घोषणा पर अमल करने के पूर्व राजनैतिक एवं सामाजिक समितियो के गठन के द्वारा सुझाव आमंत्रित किये जाने के निर्णय को गैरवाजिब बताया है. सरकार का यह निर्णय प्रदेश की जागरूक जनता के गले नही उतर रहा है तथा तरह-तरह के संदेहास्पद सवाल जनता के दिलो दिमाग में कौंध रहे है, क्योकि विगत 1 माह के कांग्रेस शासन में जो बढ़चढ कर उपलब्धियां गिनायी जा रही है उनमें प्रमुख किसानो की कर्जमाफी एवं आदिवासियो की उद्योग प्रारंभ न होने के कारण बेकार पड़ी सभी भूमि उन्हे वापस करने सहित अन्य घोषणा पत्र के कुछ वादे पूरे किये गये है उनकी सार्वजनिक घोषणा लागू किये जाने के पूर्व किसी प्रकार की समितियो के माध्यम से कोई सुझाव आमंत्रित नही किये गए वही प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के पूर्व समितिया गठित करने का सरकारी निर्णय समझ से परे है.

इधर रिजवी ने प्रदेश सरकार शराबबंदी का चुनावी वादा लोकसभा चुनाव के पूर्व लागू कर लेने की चेतावनी दी है. और कहा है कि ऐसा नही होता है तो जकांछ आंदोलन करने बाध्य होगी. प्रदेश सरकार आगामी गणतंत्र दिवस पर पूर्ण शराबबंदी लागू करने की घोषणा करें. क्योंकि इस मामले मे किसी प्रकार का बहाना प्रदेश की जनता खासतौर से भुक्त भोगी पीड़ित एवं त्रस्त महिलाये बर्दास्त नही करेगी. गौरतलब है कि शराब बंदी के लिए दो दिन पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने दो प्रकार की समिती गठित करने की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होने बलरामपुर दौरे के दौरान ये कहा था कि वो शराबबंदी को जल्दबाजी मे नही इतमिनान से करना चाहते हैं.